Source: https://www.india.com/hindi-news/busine ... y-7159570/Hindi Business HindiHindenburg Report Why Did The Sebi Chief Not Maintain Distance Until The Investigation Of The Adani Case Was Completed Was It Not Necessary
Hindenburg Report: अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों की जांच पूरी होने तक सेबी चीफ ने मामले से क्यों नहीं बनाई दूरी, क्या यह नहीं था जरूरी?
अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में हेराफेरी का आरोप लगाने के बाद अमेरिकी शॉर्ट सेलर ने अब सेबी चीफ और उनके पति पर आरोप लगाया है. साथ ही कई तरह के सवाल खड़े किए गए हैं.
Updated: August 12, 2024 1:24 PM IST
By India.com Hindi News Desk |Edited by Manoj Yadav
Hindenburg Report: अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने पहले अडानी ग्रुप पर शेयरों में हेराफेरी करने का आरोप लगाया और फिर सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति पर अडानी ग्रुप द्वारा की गड़बड़ियों में शामिल होने का आरोप लगाया है. जिसमें कहा गया है कि सेबी प्रमुख ने अडानी की कंपनियों को लेकर सही तरीके से जांच नहीं होने दी.
हालांकि, अब यह बात सबसे अधिक परेशान करने वाली है कि सेबी चीफ ने सरकार के समक्ष अपने वित्तीय हितों का पूरा खुलासा किया और क्या उन्होंने खुद को उन मामलों से अलग नहीं किया, जिनमें उनका या उनके पति का डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तौर पर हित जुड़ा था.
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व सेबी अध्यक्षों और बोर्ड के सदस्यों ने बताया कि यह समझना जरूरी है कि क्या माधबी पुरी बुच ने ऐसे मामलों से निपटने के दौरान आवश्यक खुलासे किए और खुद को अलग करने की प्रक्रिया का पालन किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अडानी से संबंधित संस्थाओं में चल रही जांच के दौरान सेबी प्रमुख के तौर पर उनकी भूमिका में पारदर्शी होनी चाहिए थी.
सेबी ने एक बयान जारी कर कहा था कि बुच ने सभी खुलासे और खुद को अलग करने के मानकों का पालन किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने और उनके पति धवल बुच ने जरूरी प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बुच ने खुद को संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से अलग कर लिया था, जिसमें उनके पति का ब्लैकस्टोन समूह से जुड़ाव भी शामिल है.
हालांकि, इस बात पर संदेह अभी भी है कि माधबी पुरी बुच ने अडानी समूह की जांच से खुद को अलग कर लिया है या नहीं, क्योंकि उनके बयान में स्पष्ट रूप से इसकी पुष्टि नहीं की गई है.
पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, सेबी में उनका कार्यकाल अडानी समूह की कंपनियों में हिस्सेदारी रखने वाली 13 ओवरसीज संस्थाओं की नियामक की जांच के साथ मैच करता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व नियामकों ने पिछले उदाहरणों से तुलना की है. ऐसे मामलों में पारदर्शिता के महत्व पर जोर देते हुए, सेबी प्रमुखों ने इस तरह के विवादों की वजह से खुद को अलग कर लिया था.
Hindenburg Report: अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों की जांच पूरी होने तक सेबी चीफ ने मामले से क्यों नहीं बनाई दूरी, क्या यह
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