पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
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हिन्दी डिस्कशन फोरम में पोस्टिंग एवं पेमेंट के लिए नियम with effect from 01.06.2025
1. यह कोई paid to post forum नहीं है। हम हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिये कुछ आयोजन करते हैं और पुरस्कार भी उसी के अंतर्गत दिए जाते हैं। अभी निम्न आयोजन चल रहा है
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2. सदस्यों द्वारा करी गई प्रत्येक पोस्टिंग का मौलिक एवं अर्थपूर्ण होना अपेक्षित है।
3. अगर किसी सदस्य की postings में नियमित रूप से copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उसका account deactivate होने की प्रबल संभावना है।
4. किसी भी विवादित स्थिति में हिन्दी डिस्कशन फोरम संयुक्त परिवार के management द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
5. यह फोरम एवं इसमे आयोजित सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।
यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
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Re: पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
कछुआ और चिड़ियों का घोंसला
एक कछुए ने देखा कि चिड़ियों ने अपना घोंसला ऊँचे पेड़ पर बनाया है। उसने पूछा, "तुम इतनी मेहनत क्यों करती हो?"
चिड़िया ने कहा, "हम जानते हैं कि तूफान आ सकता है। पहले से तैयार रहना ही बुद्धिमानी है।"
कुछ दिनों बाद तेज़ आंधी आई, लेकिन चिड़ियों का घोंसला सुरक्षित था।
सीख: पहले से तैयारी करना समझदारी है।
एक कछुए ने देखा कि चिड़ियों ने अपना घोंसला ऊँचे पेड़ पर बनाया है। उसने पूछा, "तुम इतनी मेहनत क्यों करती हो?"
चिड़िया ने कहा, "हम जानते हैं कि तूफान आ सकता है। पहले से तैयार रहना ही बुद्धिमानी है।"
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Re: पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
तितली और पुराना पेड़
एक तितली ने पुराने पेड़ से पूछा, "तुम इतने सालों से यहाँ खड़े हो। तुम्हें क्या मिलता है?"
पेड़ ने कहा, "मैं दूसरों को छाया, फल और हवा देता हूँ। यह मेरा सुख है।"
तितली ने सीखा, "जो दूसरों के लिए जीता है, वही सच्चा सुख पाता है।"
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मछली और चट्टान का द्वंद्व
एक बार एक छोटी मछली ने बड़ी चट्टान से कहा, "तुम इतनी भारी हो। तुम्हारा क्या उपयोग है?"
चट्टान ने कहा, "मैं नदी के बहाव को नियंत्रित करती हूँ, ताकि छोटी मछलियाँ सुरक्षित रहें।"
मछली ने महसूस किया कि हर चीज़ का अपना महत्व होता है।
सीख: दूसरों की भूमिका को समझें और सराहें।
एक बार एक छोटी मछली ने बड़ी चट्टान से कहा, "तुम इतनी भारी हो। तुम्हारा क्या उपयोग है?"
चट्टान ने कहा, "मैं नदी के बहाव को नियंत्रित करती हूँ, ताकि छोटी मछलियाँ सुरक्षित रहें।"
मछली ने महसूस किया कि हर चीज़ का अपना महत्व होता है।
सीख: दूसरों की भूमिका को समझें और सराहें।
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शेर, ऊंट और चालाक सियार
बहुत समय पहले की बात है। एक जंगल में एक बलवान शेर रहता था। वह जंगल का राजा था और सभी जानवर उससे डरते थे। शेर के पास उसके तीन खास दोस्त थे—एक चालाक सियार, एक ऊंट, और एक बंदर। ये तीनों हमेशा शेर के आसपास रहते थे और उसका साथ देते थे।
एक बार जंगल में भयंकर सूखा पड़ा। न तो शेर को शिकार मिल रहा था, और न ही उसके दोस्त खाने को कुछ पा रहे थे। शेर और उसके साथी भूखे और कमजोर हो रहे थे।
तभी सियार ने एक चाल चली। उसने शेर से कहा, "महाराज, हमारे पास ऊंट ही सबसे अच्छा भोजन है। वह बड़ा और मोटा है। अगर हम उसे खा लें, तो हमारी भूख मिट जाएगी।"
शेर ने कहा, "नहीं, वह हमारा दोस्त है। हम उसे नहीं खा सकते।"
लेकिन सियार अपनी चालाकी से पीछे नहीं हटा। उसने ऊंट के पास जाकर कहा, "मित्र, शेर भूखा है और वह कुछ भी खा सकता है। अगर तुम स्वयं उसकी सेवा में अपने प्राण अर्पित कर दोगे, तो वह तुम्हें सम्मानित करेगा।"
भोले ऊंट को सियार की बात पर विश्वास हो गया। वह शेर के पास जाकर बोला, "महाराज, अगर मेरी जान से आपकी भूख मिट सकती है, तो कृपया मुझे खा लीजिए।"
शेर को पहले तो संकोच हुआ, लेकिन भूख के कारण उसने ऊंट को मारकर खा लिया।
सीख: भोलेपन से दूसरों की बातों पर विश्वास करने से हानि हो सकती है।
बहुत समय पहले की बात है। एक जंगल में एक बलवान शेर रहता था। वह जंगल का राजा था और सभी जानवर उससे डरते थे। शेर के पास उसके तीन खास दोस्त थे—एक चालाक सियार, एक ऊंट, और एक बंदर। ये तीनों हमेशा शेर के आसपास रहते थे और उसका साथ देते थे।
एक बार जंगल में भयंकर सूखा पड़ा। न तो शेर को शिकार मिल रहा था, और न ही उसके दोस्त खाने को कुछ पा रहे थे। शेर और उसके साथी भूखे और कमजोर हो रहे थे।
तभी सियार ने एक चाल चली। उसने शेर से कहा, "महाराज, हमारे पास ऊंट ही सबसे अच्छा भोजन है। वह बड़ा और मोटा है। अगर हम उसे खा लें, तो हमारी भूख मिट जाएगी।"
शेर ने कहा, "नहीं, वह हमारा दोस्त है। हम उसे नहीं खा सकते।"
लेकिन सियार अपनी चालाकी से पीछे नहीं हटा। उसने ऊंट के पास जाकर कहा, "मित्र, शेर भूखा है और वह कुछ भी खा सकता है। अगर तुम स्वयं उसकी सेवा में अपने प्राण अर्पित कर दोगे, तो वह तुम्हें सम्मानित करेगा।"
भोले ऊंट को सियार की बात पर विश्वास हो गया। वह शेर के पास जाकर बोला, "महाराज, अगर मेरी जान से आपकी भूख मिट सकती है, तो कृपया मुझे खा लीजिए।"
शेर को पहले तो संकोच हुआ, लेकिन भूख के कारण उसने ऊंट को मारकर खा लिया।
सीख: भोलेपन से दूसरों की बातों पर विश्वास करने से हानि हो सकती है।
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तोता और सुनहरी मछली
एक नदी किनारे एक पुराना बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर एक तोता रहता था, जिसे अपने सुनहरे पंखों पर बड़ा घमंड था। वह सोचता था कि वह सबसे खास है और दूसरों को तुच्छ समझता था।
नदी में एक सुनहरी मछली रहती थी, जो शांत और सरल स्वभाव की थी। मछली हमेशा दूसरों की मदद करती थी, लेकिन तोता उसे हमेशा ताना मारता।
एक दिन, नदी में बाढ़ आ गई। तोता अपने पेड़ की ऊँची डाल पर बैठा था, लेकिन तेज़ हवा और पानी के थपेड़ों से डाल टूट गई। तोता गिरकर नदी में बहने लगा। वह मदद के लिए चिल्ला रहा था।
सुनहरी मछली ने तोते को डूबते देखा। उसने तुरंत उसकी मदद की और उसे किनारे तक ले आई। तोते को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने मछली से माफी मांगी और कहा, "अब मैं दूसरों को अपने से छोटा नहीं समझूँगा।"
सीख: दूसरों को छोटा समझने की बजाय उनकी कद्र करें।
एक नदी किनारे एक पुराना बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर एक तोता रहता था, जिसे अपने सुनहरे पंखों पर बड़ा घमंड था। वह सोचता था कि वह सबसे खास है और दूसरों को तुच्छ समझता था।
नदी में एक सुनहरी मछली रहती थी, जो शांत और सरल स्वभाव की थी। मछली हमेशा दूसरों की मदद करती थी, लेकिन तोता उसे हमेशा ताना मारता।
एक दिन, नदी में बाढ़ आ गई। तोता अपने पेड़ की ऊँची डाल पर बैठा था, लेकिन तेज़ हवा और पानी के थपेड़ों से डाल टूट गई। तोता गिरकर नदी में बहने लगा। वह मदद के लिए चिल्ला रहा था।
सुनहरी मछली ने तोते को डूबते देखा। उसने तुरंत उसकी मदद की और उसे किनारे तक ले आई। तोते को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने मछली से माफी मांगी और कहा, "अब मैं दूसरों को अपने से छोटा नहीं समझूँगा।"
सीख: दूसरों को छोटा समझने की बजाय उनकी कद्र करें।
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बूढ़ा सर्प और युवा नेवला
एक घने जंगल में एक बूढ़ा सर्प रहता था। उसकी आँखें कमजोर हो गई थीं और शरीर में पहले जैसा दम नहीं रहा था। आसपास के छोटे जीव अब उससे डरते नहीं थे।
एक दिन, एक युवा नेवला आया और उसने सर्प को चुनौती दी, "तुम अब कमजोर हो चुके हो। तुम्हारे बिना जंगल में कोई डर नहीं बचा। मैं अब यहाँ का राजा बनूँगा।"
सर्प ने शांति से कहा, "तुम्हारी उम्र और ताकत का सम्मान है, लेकिन राजा बनने के लिए केवल शक्ति नहीं, बल्कि बुद्धि भी चाहिए।"
युवा नेवला हँसकर बोला, "तुम मुझे बुद्धि सिखाने वाले कौन होते हो?"
कुछ ही दिनों बाद, जंगल में इंसान आ गए और उन्होंने फंदे लगा दिए। नेवला फँस गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा। बूढ़े सर्प ने फंदा काटकर उसे बचा लिया।
नेवला को समझ में आया कि केवल शक्ति से कुछ नहीं होता। उसने सर्प को अपना गुरु मान लिया।
सीख: केवल ताकत नहीं, बुद्धिमानी और अनुभव का भी सम्मान करना चाहिए।
एक घने जंगल में एक बूढ़ा सर्प रहता था। उसकी आँखें कमजोर हो गई थीं और शरीर में पहले जैसा दम नहीं रहा था। आसपास के छोटे जीव अब उससे डरते नहीं थे।
एक दिन, एक युवा नेवला आया और उसने सर्प को चुनौती दी, "तुम अब कमजोर हो चुके हो। तुम्हारे बिना जंगल में कोई डर नहीं बचा। मैं अब यहाँ का राजा बनूँगा।"
सर्प ने शांति से कहा, "तुम्हारी उम्र और ताकत का सम्मान है, लेकिन राजा बनने के लिए केवल शक्ति नहीं, बल्कि बुद्धि भी चाहिए।"
युवा नेवला हँसकर बोला, "तुम मुझे बुद्धि सिखाने वाले कौन होते हो?"
कुछ ही दिनों बाद, जंगल में इंसान आ गए और उन्होंने फंदे लगा दिए। नेवला फँस गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा। बूढ़े सर्प ने फंदा काटकर उसे बचा लिया।
नेवला को समझ में आया कि केवल शक्ति से कुछ नहीं होता। उसने सर्प को अपना गुरु मान लिया।
सीख: केवल ताकत नहीं, बुद्धिमानी और अनुभव का भी सम्मान करना चाहिए।
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कौआ और राजा का सिंहासन
एक छोटे से राज्य में एक राजा रहता था, जो अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखता था। राजा का सिंहासन बहुत कीमती था और उसे एक महान वास्तुकार ने बनाया था।
एक दिन, एक कौआ राजा के महल में आया और सिंहासन पर बैठ गया। उसने सोचा, "अगर मैं इस सिंहासन पर बैठा हूँ, तो इसका मतलब है कि मैं राजा हूँ। अब मुझे सभी मेरी बात मानेंगे।"
कौआ ने तुरंत शाही आदेश देना शुरू कर दिया। लेकिन प्रजा ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा, "सिंहासन पर बैठने से कोई राजा नहीं बनता। राजा वही होता है, जो प्रजा का सम्मान करता है और उनकी भलाई के लिए काम करता है।"
कौआ शर्मिंदा हुआ और उसने महसूस किया कि केवल दिखावे से सम्मान नहीं मिलता।
सीख: पद का नहीं, कर्म का सम्मान होता है।
एक छोटे से राज्य में एक राजा रहता था, जो अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखता था। राजा का सिंहासन बहुत कीमती था और उसे एक महान वास्तुकार ने बनाया था।
एक दिन, एक कौआ राजा के महल में आया और सिंहासन पर बैठ गया। उसने सोचा, "अगर मैं इस सिंहासन पर बैठा हूँ, तो इसका मतलब है कि मैं राजा हूँ। अब मुझे सभी मेरी बात मानेंगे।"
कौआ ने तुरंत शाही आदेश देना शुरू कर दिया। लेकिन प्रजा ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा, "सिंहासन पर बैठने से कोई राजा नहीं बनता। राजा वही होता है, जो प्रजा का सम्मान करता है और उनकी भलाई के लिए काम करता है।"
कौआ शर्मिंदा हुआ और उसने महसूस किया कि केवल दिखावे से सम्मान नहीं मिलता।
सीख: पद का नहीं, कर्म का सम्मान होता है।
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बाघ, नदी और दो बकरियाँ
एक जंगल में एक गहरी नदी बहती थी। नदी के एक किनारे पर एक बाघ रहता था और दूसरे किनारे पर दो बकरियाँ। बाघ हमेशा बकरियों को पकड़ने की कोशिश करता, लेकिन तेज बहाव के कारण नदी पार नहीं कर पाता।
एक दिन, बाघ ने नदी के पास खड़े होकर बकरियों से कहा, "तुम हमेशा मुझसे बचकर रहती हो। क्या तुम मेरी बात सुनोगी?"
बकरियाँ सतर्क थीं। उन्होंने कहा, "तुम्हारी बात सुनने का मतलब है अपनी जान गंवाना।"
लेकिन बाघ ने चालाकी से कहा, "मैं अब बूढ़ा हो गया हूँ। मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा।"
बकरियों ने उसे परखने के लिए कहा, "अगर तुम सचमुच बूढ़े और कमजोर हो, तो अपनी शक्ति साबित करो। नदी के बीच में जाकर हमें अपनी बात कहो।"
बाघ नदी में गया और तेज बहाव में बहने लगा। बकरियों ने उसे डूबने से बचा लिया। बाघ ने कहा, "अब मैं समझ गया हूँ कि दूसरों का शिकार करने की बजाय सहयोग से जीना बेहतर है।"
सीख: दूसरों को धोखा देने की बजाय सच्चाई और सहयोग को अपनाना चाहिए।
एक जंगल में एक गहरी नदी बहती थी। नदी के एक किनारे पर एक बाघ रहता था और दूसरे किनारे पर दो बकरियाँ। बाघ हमेशा बकरियों को पकड़ने की कोशिश करता, लेकिन तेज बहाव के कारण नदी पार नहीं कर पाता।
एक दिन, बाघ ने नदी के पास खड़े होकर बकरियों से कहा, "तुम हमेशा मुझसे बचकर रहती हो। क्या तुम मेरी बात सुनोगी?"
बकरियाँ सतर्क थीं। उन्होंने कहा, "तुम्हारी बात सुनने का मतलब है अपनी जान गंवाना।"
लेकिन बाघ ने चालाकी से कहा, "मैं अब बूढ़ा हो गया हूँ। मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा।"
बकरियों ने उसे परखने के लिए कहा, "अगर तुम सचमुच बूढ़े और कमजोर हो, तो अपनी शक्ति साबित करो। नदी के बीच में जाकर हमें अपनी बात कहो।"
बाघ नदी में गया और तेज बहाव में बहने लगा। बकरियों ने उसे डूबने से बचा लिया। बाघ ने कहा, "अब मैं समझ गया हूँ कि दूसरों का शिकार करने की बजाय सहयोग से जीना बेहतर है।"
सीख: दूसरों को धोखा देने की बजाय सच्चाई और सहयोग को अपनाना चाहिए।
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शिकारी, चिड़िया और घोंसले का सबक
एक बार एक जंगल में एक शिकारी आया। वह चिड़ियों को पकड़ने के लिए जाल बिछा रहा था। एक बड़ी चिड़िया ने अपने बच्चों से कहा, "देखो, वह आदमी जाल बिछा रहा है। अगर तुम सावधान रहोगे, तो बच जाओगे।"
लेकिन छोटे चिड़ियों ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। वे सोचने लगे, "शिकारी इतना धीमा है। हमें कुछ नहीं होगा।"
जैसे ही शिकारी चला गया, वे नीचे उतरीं और दाने खाने लगीं। तभी शिकारी ने वापस आकर जाल खींच लिया। सभी चिड़िया फँस गईं।
माँ चिड़िया ने उन्हें बचाने के लिए शिकारी से कहा, "अगर आप मेरे बच्चों को छोड़ दें, तो मैं आपको एक गुप्त जगह बताऊँगी, जहाँ दुर्लभ पक्षी रहते हैं।"
शिकारी मान गया और चिड़ियों को छोड़ दिया। माँ चिड़िया ने बच्चों को समझाया, "दुनिया में ताकतवर से बचने का सबसे अच्छा तरीका बुद्धि का उपयोग है।"
सीख: हमेशा सावधान रहें और बुद्धिमानी से काम लें।
एक बार एक जंगल में एक शिकारी आया। वह चिड़ियों को पकड़ने के लिए जाल बिछा रहा था। एक बड़ी चिड़िया ने अपने बच्चों से कहा, "देखो, वह आदमी जाल बिछा रहा है। अगर तुम सावधान रहोगे, तो बच जाओगे।"
लेकिन छोटे चिड़ियों ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। वे सोचने लगे, "शिकारी इतना धीमा है। हमें कुछ नहीं होगा।"
जैसे ही शिकारी चला गया, वे नीचे उतरीं और दाने खाने लगीं। तभी शिकारी ने वापस आकर जाल खींच लिया। सभी चिड़िया फँस गईं।
माँ चिड़िया ने उन्हें बचाने के लिए शिकारी से कहा, "अगर आप मेरे बच्चों को छोड़ दें, तो मैं आपको एक गुप्त जगह बताऊँगी, जहाँ दुर्लभ पक्षी रहते हैं।"
शिकारी मान गया और चिड़ियों को छोड़ दिया। माँ चिड़िया ने बच्चों को समझाया, "दुनिया में ताकतवर से बचने का सबसे अच्छा तरीका बुद्धि का उपयोग है।"
सीख: हमेशा सावधान रहें और बुद्धिमानी से काम लें।
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Re: पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
कछुआ और दौड़ता हुआ मेंढक
एक शांत झील के किनारे एक कछुआ रहता था। वह अपने धीमे और स्थिर स्वभाव के लिए प्रसिद्ध था। वहीं, पास में एक मेंढक रहता था, जो तेज़ी से उछलता-कूदता और अपनी गति पर गर्व करता था।
एक दिन मेंढक ने कछुए का मज़ाक उड़ाते हुए कहा, "तुम इतने धीमे क्यों हो? क्या तुम्हें कभी तेज़ी से चलने का आनंद नहीं मिलता?"
कछुए ने शांति से कहा, "धीरे चलने का मतलब यह नहीं कि मैं पीछे रह जाऊँ। जीवन में स्थिरता और धैर्य भी उतने ही ज़रूरी हैं।"
मेंढक ने कहा, "आओ, एक दौड़ लगाते हैं।" कछुए ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। दौड़ शुरू हुई, लेकिन अचानक बारिश आ गई। नदी के किनारे पानी तेज़ी से भरने लगा और कीचड़ फैल गया।
मेंढक फिसलकर गिरने लगा, जबकि कछुआ अपनी स्थिर चाल से धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा। अंत में, वह आराम से जीत गया।
सीख: धैर्य और स्थिरता हमेशा घमंड से ऊपर होती है।
एक शांत झील के किनारे एक कछुआ रहता था। वह अपने धीमे और स्थिर स्वभाव के लिए प्रसिद्ध था। वहीं, पास में एक मेंढक रहता था, जो तेज़ी से उछलता-कूदता और अपनी गति पर गर्व करता था।
एक दिन मेंढक ने कछुए का मज़ाक उड़ाते हुए कहा, "तुम इतने धीमे क्यों हो? क्या तुम्हें कभी तेज़ी से चलने का आनंद नहीं मिलता?"
कछुए ने शांति से कहा, "धीरे चलने का मतलब यह नहीं कि मैं पीछे रह जाऊँ। जीवन में स्थिरता और धैर्य भी उतने ही ज़रूरी हैं।"
मेंढक ने कहा, "आओ, एक दौड़ लगाते हैं।" कछुए ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। दौड़ शुरू हुई, लेकिन अचानक बारिश आ गई। नदी के किनारे पानी तेज़ी से भरने लगा और कीचड़ फैल गया।
मेंढक फिसलकर गिरने लगा, जबकि कछुआ अपनी स्थिर चाल से धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा। अंत में, वह आराम से जीत गया।
सीख: धैर्य और स्थिरता हमेशा घमंड से ऊपर होती है।