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Deepika sharma wrote: Mon Dec 02, 2024 8:44 pm हर कोई इंग्लिश बोलना... चाहता है... पता नी इस इंग्लिश का भूत भारत से कब हटेगा. जहा देखो इंग्लिश... स्कूल मे तो इंग्लिश... बच्चों को पढ़ाओ तो पहले खुद को पड़ना पड़ता है तब बच्चों को समझाओ... नही तो आज कल के बच्चे छोटी सी भी गलती कर दो पकड़ लेते है... इंटरव्यू देने जाओ तो पहला प्रश्न इंग्लिश आती है क्या तभी इंटरव्यू होगा.... नही तो घर जाओ...![]()
सही कहा इसमें बच्चे पर जोर पड़ता है कि वो किस पर ध्यान एकत्रित करे बच्चे को सुरु से एक ही लाइन मे डालो....अगर इंग्लिश मीडियम मे पढ़ाना है या हिंदी मीडियमBhaskar.Rajni wrote: Mon Dec 02, 2024 10:23 pmDeepika sharma wrote: Mon Dec 02, 2024 8:44 pm हर कोई इंग्लिश बोलना... चाहता है... पता नी इस इंग्लिश का भूत भारत से कब हटेगा. जहा देखो इंग्लिश... स्कूल मे तो इंग्लिश... बच्चों को पढ़ाओ तो पहले खुद को पड़ना पड़ता है तब बच्चों को समझाओ... नही तो आज कल के बच्चे छोटी सी भी गलती कर दो पकड़ लेते है... इंटरव्यू देने जाओ तो पहला प्रश्न इंग्लिश आती है क्या तभी इंटरव्यू होगा.... नही तो घर जाओ...![]()
सचमुच इंग्लिश का भूत सवार है। मां आपको लगता है हमारा बच्चा जन्म लेते ही अंग्रेजी बोलने लग जाए खुद को चाहे आए ना आए लेकिन बच्चा जरूर अंग्रेजी में बोले। और सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि इस चक्कर में बच्चे ना तो हिंदी जान पाते हैं ना ही पूरी तरह से अंग्रेजी
महात्मा गांधी ने भी मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया था वह कहते थे कि अपनी मातृभाषा में बच्चा जल्दी सीख लेता है। लेकिन भारत में बच्चों पर इंग्लिश सीखने का दबाव है जहां तक की इंग्लिश बोलने का भी दबाव है स्कूलों में तो इंग्लिश ना बोलने पर फाइन भी लगा लगा दिया जाता है मतलब कितनी बिडंबना है कि अपनी ही मातृभाषा बोलने पर फाइन लगता हो।Warrior wrote: Tue Dec 03, 2024 6:23 pm UNICEF में प्रकाशित डेटा के अनुसार...
दुनिया के निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में लगभग 37 प्रतिशत छात्र अपनी सबसे अच्छी समझ में आने वाली भाषा में नहीं पढ़ाए जा रहे हैं। भारत में यह अनुमान लगभग 35 प्रतिशत है, जिसमें बहुत से बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ रहे हैं।
भारत एक बहुभाषी देश है और बच्चों को अन्य भाषाएँ (क्षेत्रीय या राज्य भाषाएँ) और इंग्लिश सीखनी चाहिए। शिक्षा का अधिकार अधिनियम और भारतीय संविधान – अनुच्छेद 350A यह निर्धारित करता है कि "शिक्षा का माध्यम, यथा संभव, बच्चे की मातृभाषा में होना चाहिए।"
लेकिन माता-पिता, शैक्षिक संस्थानों द्वारा इंग्लिश में पढ़ाई के नाम पर बढ़ाई गई फीस के जाल में अंधाधुंध फंस रहे हैं।
इंग्लिश इंग्लिश करते-करते तो इंग्लिश पर मूवी बन गई इंग्लिश विंग्लिश। श्रीदेवी ने बहुत जबरदस्त अभिनय किया है इसमें लास्ट में जाकर वह भी इंग्लिश सीखी जाती हैं। हमारी तो भैया मातृभाषा है इंग्लिश विंग्लिश हमें ना आती। हमको तो हिंदी आती है और हमको इंग्लिश का कोई भूत नहीं है आ जाए तो ठीक ना आए तो ठीकBhaskar.Rajni wrote: Tue Dec 03, 2024 9:49 pmमहात्मा गांधी ने भी मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया था वह कहते थे कि अपनी मातृभाषा में बच्चा जल्दी सीख लेता है। लेकिन भारत में बच्चों पर इंग्लिश सीखने का दबाव है जहां तक की इंग्लिश बोलने का भी दबाव है स्कूलों में तो इंग्लिश ना बोलने पर फाइन भी लगा लगा दिया जाता है मतलब कितनी बिडंबना है कि अपनी ही मातृभाषा बोलने पर फाइन लगता हो।Warrior wrote: Tue Dec 03, 2024 6:23 pm UNICEF में प्रकाशित डेटा के अनुसार...
दुनिया के निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में लगभग 37 प्रतिशत छात्र अपनी सबसे अच्छी समझ में आने वाली भाषा में नहीं पढ़ाए जा रहे हैं। भारत में यह अनुमान लगभग 35 प्रतिशत है, जिसमें बहुत से बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ रहे हैं।
भारत एक बहुभाषी देश है और बच्चों को अन्य भाषाएँ (क्षेत्रीय या राज्य भाषाएँ) और इंग्लिश सीखनी चाहिए। शिक्षा का अधिकार अधिनियम और भारतीय संविधान – अनुच्छेद 350A यह निर्धारित करता है कि "शिक्षा का माध्यम, यथा संभव, बच्चे की मातृभाषा में होना चाहिए।"
लेकिन माता-पिता, शैक्षिक संस्थानों द्वारा इंग्लिश में पढ़ाई के नाम पर बढ़ाई गई फीस के जाल में अंधाधुंध फंस रहे हैं।