Famous Quotes of Respected poet-critic and translator "KUNWAR NARAYAN" - PART I

महफिल यहां जमाएं....

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Realrider
पार 2 हज R आखिरकार ... phew !!!!
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Joined: Tue Jul 16, 2024 8:47 pm

Famous Quotes of Respected poet-critic and translator "KUNWAR NARAYAN" - PART I

Post by Realrider »

1. विषम समयों में कविता की चुप्पी भी एक चीत्कार की तरह ध्वनित होती रही है। यह चुप्पी केवल कविता की चुप्पी नहीं, एक सामाजिक चेतना की घुटन भरी चीख़ है।

2. भाषा के पर्यावरण में कविता की मौजूदगी का तर्क जीवन-सापेक्ष है : उसके प्रेमी और प्रशंसक हमेशा रहेंगे—बहुत ज़्यादा नहीं, लेकिन बहुत समर्पित!

3. दुनिया जैसी है और जैसी उसे होना चाहिए के बीच कहीं वह एक लगातार बेचैनी है।

4. काव्य-रचना का एक अर्थ मनुष्य की कल्पनाशील चेतना का उद्दीपन है।

5. लोग हमेशा वही नहीं चाहते जो उनके लिए हितकर हो।

6. कविता यथार्थ को नज़दीक से देखती, मगर दूर की सोचती है।

7. आधुनिक युग हर चिंतनशील प्राणी से एक नई तरह की ज़िम्मेदारी की माँग करता है जिसका बहुत ही महत्त्वपूर्ण संबंध हमारे सोचने के ढंग से है।

8. साहित्य मेरी दृष्टि में किसी एक पक्ष की वकालत न होकर दो या दो से अधिक पक्षों की अदालत है। इस अदालत का न्यायप्रिय, संतुलित, निष्पक्ष और मानवीय होना मैं बहुत ज़रूरी समझता हूँ।

9. कविता में ‘मैं’ की व्याख्या केवल आत्मकेंद्रण या व्यक्तिवाद के अर्थ में करना उसके बृहतर आशयों और संभावनाओं दोनों को संकुचित करना है।

10. राजनीति जितनी ‘ठोस’ ऊपर से दिखाई देती है, अंदर से उतनी ही क्षतिग्रस्त और जर्जर हो सकती है।
Source URL: https://www.hindwi.org/poets/kunwar-narayan/quotes
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