ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है ,सही ही कहा है। केक पर कितनी ईमानदारी से सारे खर्चे को लिखा गया है। आदमी ने सचमुच इतना पैसा खर्च किया है तभी उसे पाई पाई का हिसाब याद है। बात भी सही है कि पहले खर्च का भुगतान किया जाना चाहिए उसके बाद केक मिलना चाहिए आखिर उसके गाढ़े खून की कमाई है अब केक बाजार में फ्री तो मिलता नहीं है ।

तो यदि बर्थडे मनाना है और केक काटना है तो ईमानदारी से पैसे भी चुकाता करने होंगे। हैप्पी बर्थडे

