भूस्खलन से कैसे तबाह हुआ वायनाड, ISRO ने सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए बताया

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Realrider
पार 2 हज R आखिरकार ... phew !!!!
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भूस्खलन से कैसे तबाह हुआ वायनाड, ISRO ने सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए बताया

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन हादसे की तस्वीरें जारी की हैं। इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि भूस्खलन से पहले वायनाड सुंदर और हरा भरा दिख रहा है। पेड़-पौधे भी देखे जा सकते हैं। रिहायसी इलाके भी हैं। हालांकि, हादसे के बाद बड़े हिस्से में केवल मलबा नजर आ रहा है। पेड़-पौधे गायब हो चुके हैं और घर भी मलबे में तब्दील हो चुके हैं।

केरल के वायनाड में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन से बड़ी तबाही आई है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के अनुसार इस हादसे में 308 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 200 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। ऐसे में मरने वालों की संख्या और भी बढ़ सकती है। भूस्खलन की घटनाएं आमतौर पर उत्तर भारतीय राज्यों में ज्यादा होती हैं। हिमालय पर्वत श्रृंखला के नवीन वलित पर्वतों में बारिश होने पर बलुई जमीन आसानी से ढह जाती है। हालांकि, इस बार केरल के वायनाड में ऐसी घटना हुई है, जिसमें सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

कितना हुआ नुकसान ?
वायनाड लैंड स्लाइड की सेटेलाइट तस्वीरों से व्यापक नुकसान का पता चलता है। इसरो के हैदराबाद में मौजूद नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) वायनाड के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र की उपग्रहों द्वारा ली गई हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें जारी की हैं। एनआरएससी ने वायनाड जिले के चूरलमाला की 30 जुलाई के भूस्खलन से पहले और बाद की तस्वीरें जारी की हैं। तस्वीरों से पता चलता है कि भूस्खलन से लगभग 86,000 वर्ग मीटर जमीन खिसक गई। 22 मई, 2023 को कार्टोसैट 3 उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीर और 31 जुलाई को भूस्खलन के एक दिन बाद RISAT उपग्रह द्वारा तस्वीरें ली गई थीं।

8 किमी लंबा भूस्खलन
NSRC ने कहा कि चूरलमला और उसके आसपास भारी बारिश के कारण मलबे का एक बड़ा प्रवाह शुरू हुआ था। 31 जुलाई की बहुत उच्च रिजॉल्यूशन वाली RISAT SAR तस्वीरें क्राउन से रन-आउट जोन के अंत तक मलबे के इसी भारी प्रवाह को दिखाती हैं। भूस्खलन के प्रवाह की अनुमानित लंबाई 8 किमी है। NRSC द्वारा जारी की गई तस्वीरों उसी स्थान पर पहले भी भूस्खलन होने के सबूत भी मिले हैं, जिससे साफ होता है कि क्राउन जोन एक पुराने भूस्खलन का ही पुनर्सक्रियन है।

86,000 वर्ग मीटर का स्क्रैप
भूस्खलन के मुख्य स्क्रैप का आकार 86,000 वर्ग मीटर है। मलबे के प्रवाह ने इरुविनपुझा और मुंडक्कई नदी के मार्ग को चौड़ा कर दिया, जिससे इसके किनारे टूट गए और बहाव ने किनारे बसे गांव और घरों को तबाह कर दिया। इसरो की इन तस्वीरों को समझाते हुए ग्राउंड ज़ीरो के एक डीटेल्ड WT किया है
Source: https://www.indiatv.in/india/national/i ... 02-1064516
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