हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

अंतरराष्ट्रीय हिन्दी पखवाड़ा उत्सव (१ सितंबर - १४ सितंबर २०२४ ) के अंतर्गत हिन्दी एवं हिन्दी साहित्य को उसके मूल देव-नागरी लिपि में प्रोत्साहन देने हेतु विभिन्न प्रतियोगिताओं की विस्तृत जानकारी यहाँ पाएं ।

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2. सदस्यों द्वारा करी गई प्रत्येक पोस्टिंग का मौलिक एवं अर्थपूर्ण होना अपेक्षित है।

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4. किसी भी विवादित स्थिति में हिन्दी डिस्कशन फोरम संयुक्त परिवार के management द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।

5. यह फोरम एवं इसमे आयोजित सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।

यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

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Post NO.- 81


रहकर तेरे दिल में भी देखा मैंने
तब जाकर ये एहसास-ए-ग़ुमाँ हुआ

सजाया-संवारा इतनी शिद्दत से मैने मग़र
किराए का घर भी क्या कभी अपना हुआ।
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Post NO.- 82


लम्हा-लम्हा जुड़ा है सभी के लिए ,
है ये एक दर्स ज़िंदगी के लिए ,

अपना बोझ ख़ुद ही उठाना पड़ता है ,
कौन करता है कुछ किसी के लिए।
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Post NO.- 83
शाम सी मोहब्बत है तेरी

शाम सी मोहब्बत है तेरी
बिना इसके गुज़ारा क्या होगा

इश्क़-ए-ग़ुनाह तो कर लिया हमने
अब इसका कफ़्फ़ारा क्या होगा

दो घड़ी पहलू में बैठे फिर
चल दिए यूं छोड़ कर

कभी हमने जो छोड़ा तो सोच
तेरा सहारा क्या होगा

तेरे इश्क़ में मेरी जां अब
बेखबर हैं खुद से भी

अब इससे ज्यादा बर्बाद
दिल-ए-बेचारा क्या होगा।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

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Post NO.- 84


पहली मुलाकात के इंतजार में होते हैं
कुछ ऐसे रिश्ते भी इस संसार में होते हैं

मीलों के फासले भी जुदा नहीं कर पाते
कुछ इस कदर एक दूजे के प्यार में होते हैं।
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Post NO.- 85


तुम
और मैं
जब दोस्त बने
अंजान एक दूसरे से
पर तुमसे मिलना ऐसे था
जैसे बरसों बाद खुद से मिलना
मिलना उस नए रूप से जिसे मैं
भुला कर बस यूंही जिए जा रही थी
और तुम्हारी दोस्ती ने इस पतझड़ रूपी जीवन को
बसंत के मौसम सा आनंदित और सुगंधित कर दिया हो ।
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Post NO.- 86
मां

आकाश सा अपार
अनंत उसका प्यार

वो मेरी पहली गुरु
उससे मेरी हर बात शुरू

बाहों में उसकी मेरी जन्नत
मेरी दुआ वो मेरी मन्नत

आंखों में उसकी मेरा रूप
मेरा अस्तित्व उसका प्रारूप

मेरी मुश्किल का वो हल
उसमें शामिल मेरा कल

ममता का उसकी कोई ना पार
वो मेरे जीवन का सा

लिखना जो चाहूं उसका वर्णन
नहीं है ऐसे शब्दों का संगम

उसमें है मेरी दुनिया समाई
मैं अपनी"मां"की परछाई।
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Post NO.- 87
तेरे संग

तेरे संग उड़ती फिरती हूं आसमानों में
अब क्या ही रखा है इन जहानों में

हीरे,मोती,चांदी,सोना सभी बेमोल हैं अब
कुछ अलग ही बात है तेरे प्यार के खजानों में

चांद छू लिया सितारें आंचल में महके हैं
रोशनी बिखरी है तेरे मेरे दिल के दरम्यानों में

हम तो राज करते हैं अब तेरी ही बाहों में
सुकून नहीं मिलता हमें ईंट पत्थरों के मकानों में

ख़्वाब दर ख़्वाब सारे ही हक़ीक़त हो रहे हैं
तूने रंग भर दिए हैं मेरे तमाम अरमानों में

दुआ है इसी तरह मुस्कुराती रहे ये ज़िंदगी
कभी कोई गम न आए अपने गुलिस्तानों में।
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Post NO.- 88


यादों से तेरी अब रिहाई चाहता है
तुझसे मुकम्मल जुदाई चाहता है

थे अजनबी जब हम एक दूसरे से
ज़िंदगी की वही इब्तिदाई चाहता है।
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Post NO.- 89


रंगत गुलाब सी मेरे चेहरे पर बिखर जाती है ,
तेरे ख्यालों की खुशबू जब भी मेरे ज़हन से टकराती है ,

ना होश ख़ुद का, ना काबू में रहती हैं धड़कनें ,
कि तेरे नाम की मिठास जब भी मेरी जुबां पर आती है।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

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मुझको भी सीखनी है अब ये दुनियादारी
रास नहीं आ रही है मुझको मेरी समझदारी,

जो आता है मतलब निकाल कर चला जाता है
मैं कभी पहचान नहीं पायी सादगी में छुपी मक्कारी,

लोग कहते हैं जो जैसा है उसके साथ वैसा करो
पर क्या करूं मुझे आती नहीं है इतनी होशियारी,

अपने ही बनाते हैं तमाशा प्यार,मोहब्बत जैसे एहसासों का
नहीं चाहिए अब मुझे ऐसे रिश्ते,ऐसी दोस्ती,ऐसी यारी।
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