अब फर्क नही पड़ता कोई महफ़िल से जाए या मेरी जिंदगी से
हाल ए जिंदगी
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- Joined: Sat Sep 07, 2024 1:10 pm
हाल ए जिंदगी
मेरा किरदार मोहताज नहीं है किसी के प्यार और साथ का , एक लम्बा अरसा लगा है पत्थर दिल बनने में ।
अब फर्क नही पड़ता कोई महफ़िल से जाए या मेरी जिंदगी से
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अब फर्क नही पड़ता कोई महफ़िल से जाए या मेरी जिंदगी से
Re: हाल ए जिंदगी
बहुत बढ़िया आकांशा जी आपके शब्द बताते है की आपने जीवन के उतार-चढ़ाव से खुद को इतना मजबूत बना लिया है कि अब किसी के साथ की जरूरत नहीं महसूस होती। यह आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का सशक्त उदाहरण है, जो दर्शाता है कि किसी के चले जाने या महफिल छोड़ देने से जिंदगी नहीं रुकती।