हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
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हिन्दी डिस्कशन फोरम में पोस्टिंग एवं पेमेंट के लिए नियम with effect from 01.06.2025
1. यह कोई paid to post forum नहीं है। हम हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिये कुछ आयोजन करते हैं और पुरस्कार भी उसी के अंतर्गत दिए जाते हैं। अभी निम्न आयोजन चल रहा है
viewtopic.php?t=4557
2. सदस्यों द्वारा करी गई प्रत्येक पोस्टिंग का मौलिक एवं अर्थपूर्ण होना अपेक्षित है।
3. अगर किसी सदस्य की postings में नियमित रूप से copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उसका account deactivate होने की प्रबल संभावना है।
4. किसी भी विवादित स्थिति में हिन्दी डिस्कशन फोरम संयुक्त परिवार के management द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
5. यह फोरम एवं इसमे आयोजित सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।
यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
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Post : 18 , सच्चाई का दायरा by Ruchi Agarwal ( 23/02/2023)
सिक्के के दो पहलू जैसे
सच झूठ का साथ है
किसको कब उपयोग में लाएं
यह बतलाते हालात है ।
जज्बातों को घायल कर दे
वह सच तीर समान है
अस्वस्थ और जख्मी कर दे
उस सच का ना कोई विधान है ।
माना झूठ का साथ गलत है
पर इसकी भी महिमा न्यारी है
कभी-कभी ये सच से ज्यादा
होता शिष्टाचारी है ।
सत्य झूठ की तुलना करके
इक बात समझ ये आती है
नाप तोलकर उपयोग करें तो
हर मुश्किल हल हो जाती है ।
सिक्के के दो पहलू जैसे
सच झूठ का साथ है
किसको कब उपयोग में लाएं
यह बतलाते हालात है ।
जज्बातों को घायल कर दे
वह सच तीर समान है
अस्वस्थ और जख्मी कर दे
उस सच का ना कोई विधान है ।
माना झूठ का साथ गलत है
पर इसकी भी महिमा न्यारी है
कभी-कभी ये सच से ज्यादा
होता शिष्टाचारी है ।
सत्य झूठ की तुलना करके
इक बात समझ ये आती है
नाप तोलकर उपयोग करें तो
हर मुश्किल हल हो जाती है ।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Post :19 , 'सैनिक' देश का गौरव by Ruchi Agarwal (23/02/2025)
सैन्य सेवा में समर्पित व्यक्ति सैनिक कहलाता है । किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत उनके सैनिक ही होते हैं ।वे संरक्षक बन हर कीमत पर अपने देश और देशवासियों की रक्षा करते हैं । वें बड़े ही निस्वार्थ होते हैं स्वयं की परवाह किए बगैर , अपने परिवार की खुशियों को तक पर रख देश के हित में न्योछावर रहते है । सीना तानकर सरहद पर खड़े रहते हैं हर तरह के वार का दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देते हैं और अपनी आखिरी सांस तक अपना फर्ज निभाते हैं । चाहे तपा देने वाली गर्मी हो या सिकौड़ देने वाली ठंड, सैनिक कभी भी पीछे नहीं हटते, एक टांग पर खड़े रहकर अपना फर्ज निभाते हैं । इन्होंने अपने खून का हर एक कतरा देश के नाम कर दिया है ऐसे वीरों को जन्म देने वाली मिट्टी ही बड़ी भाग्यशाली होती है । सैनिक सिर्फ रक्षक नहीं देश की शान है ,गौरव है ,अभिमान है । एक सैनिक का कार्य दुनिया के सबसे कठिन कार्यों में से एक है । सैनिक देश के मजबूत स्तंभ समान है जिन पर पूरे देश की रक्षा का भार टिका है।
सैन्य सेवा में समर्पित व्यक्ति सैनिक कहलाता है । किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत उनके सैनिक ही होते हैं ।वे संरक्षक बन हर कीमत पर अपने देश और देशवासियों की रक्षा करते हैं । वें बड़े ही निस्वार्थ होते हैं स्वयं की परवाह किए बगैर , अपने परिवार की खुशियों को तक पर रख देश के हित में न्योछावर रहते है । सीना तानकर सरहद पर खड़े रहते हैं हर तरह के वार का दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देते हैं और अपनी आखिरी सांस तक अपना फर्ज निभाते हैं । चाहे तपा देने वाली गर्मी हो या सिकौड़ देने वाली ठंड, सैनिक कभी भी पीछे नहीं हटते, एक टांग पर खड़े रहकर अपना फर्ज निभाते हैं । इन्होंने अपने खून का हर एक कतरा देश के नाम कर दिया है ऐसे वीरों को जन्म देने वाली मिट्टी ही बड़ी भाग्यशाली होती है । सैनिक सिर्फ रक्षक नहीं देश की शान है ,गौरव है ,अभिमान है । एक सैनिक का कार्य दुनिया के सबसे कठिन कार्यों में से एक है । सैनिक देश के मजबूत स्तंभ समान है जिन पर पूरे देश की रक्षा का भार टिका है।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
पोस्ट : २०, स्वयं को किसी से कम ना आको by Ruchi Agarwal
(23/02/2025)
अपनी शक्ति को पहचानो
समय निकालकर खुद को जानो
खुद ही खुद में निरंतर झांको
स्वयं को किसी से कम ना आंको ।
ईश्वर अपने हर बच्चे को
एक बराबर देता है
लेने वाले पर है निर्भर
उपयोग कहां क्या लेता है ।
हर किसी में होती है
कुछ ना कुछ प्रतिभाएं
मेहनत कर , सक्रिय रूप से
अपनी पहचान बनाएं ।
यथार्थ छेनी का उपयोग कर
स्वयं को खूब तराशें
हर मुमकिन ,राह पकड़कर
विशिष्ट अवसर को फांसें ।
दूर ना होगा वो दिन जब
सफलता तुम्हें पुकारेगी
मेहनत की तलवार के आगे
आंतरिक आशंकाएं हारेगीं ।
(23/02/2025)
अपनी शक्ति को पहचानो
समय निकालकर खुद को जानो
खुद ही खुद में निरंतर झांको
स्वयं को किसी से कम ना आंको ।
ईश्वर अपने हर बच्चे को
एक बराबर देता है
लेने वाले पर है निर्भर
उपयोग कहां क्या लेता है ।
हर किसी में होती है
कुछ ना कुछ प्रतिभाएं
मेहनत कर , सक्रिय रूप से
अपनी पहचान बनाएं ।
यथार्थ छेनी का उपयोग कर
स्वयं को खूब तराशें
हर मुमकिन ,राह पकड़कर
विशिष्ट अवसर को फांसें ।
दूर ना होगा वो दिन जब
सफलता तुम्हें पुकारेगी
मेहनत की तलवार के आगे
आंतरिक आशंकाएं हारेगीं ।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
पोस्ट : २१, एक कदम स्वस्थ जीवन की ओर by Ruchi Agarwal
(23/02/2025)
मानव तन मिलता है दुर्लभ
इसकी अहमियत पहचानो
है तंदुरुस्त और स्वस्थ गर रहना
तो योग प्राणायाम को जानो।
जीवन के हर रोग मिटा दे
सकारात्मक ऊर्जा भरदे
चंचल मन की चेतना को
स्थिर एकाग्र यह करदे।
प्राचीन काल से इसकी महिमा का
सबने हैं लोहा माना
ज्ञानी गुरूजन और चिकित्सक
सबने है चाहा अपनाना।
दीर्घायु का जरिया हैं ये
यौवन को कायम रखें
प्रौढ़ अवस्था की अवधि को
चुस्ती फुर्ती से भर दे।
सच्चे सुख का जरिया बन जाए
अगर करें हम सुबह शाम
स्वयं करो और सबको कराओ
योग क्रिया और प्राणायाम।
(23/02/2025)
मानव तन मिलता है दुर्लभ
इसकी अहमियत पहचानो
है तंदुरुस्त और स्वस्थ गर रहना
तो योग प्राणायाम को जानो।
जीवन के हर रोग मिटा दे
सकारात्मक ऊर्जा भरदे
चंचल मन की चेतना को
स्थिर एकाग्र यह करदे।
प्राचीन काल से इसकी महिमा का
सबने हैं लोहा माना
ज्ञानी गुरूजन और चिकित्सक
सबने है चाहा अपनाना।
दीर्घायु का जरिया हैं ये
यौवन को कायम रखें
प्रौढ़ अवस्था की अवधि को
चुस्ती फुर्ती से भर दे।
सच्चे सुख का जरिया बन जाए
अगर करें हम सुबह शाम
स्वयं करो और सबको कराओ
योग क्रिया और प्राणायाम।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
पोस्ट: २२, मानसिक अत्याचार एक जघन्य अपराध by Ruchi Agarwal ( 23/02/2025)
अत्याचार या अनाचार को
सर झुका कर सहन ना कर
मानसिक उत्पीड़न को ए बंदे
चुप्पी से ढ़ोना बंद कर।
बाहरी तन के आंशिक जख्म तो
मरहम से भर जाते हैं
पर मां पर लगी हुई गहरी चोटें
अनंत नासूर बन जाते हैं।
ऊपरी सतह पर ठेस पहुंचाना
तो गुनाह कहलाता है
मानसिक रूप से दिया आघात
समाज को नजर नहीं आता है।
अब खुद को बदलना होगा रे बंदे
आवाज बुलंद करनी होगी
शिष्टाचार की सीमाएं लांघकर
खुद ही पहल करनी होगी।
कोई नहीं जब चाहे समझना
काम बने ना बातों से
शब्दों के तीखे तीर चला दो
जो खेल कोई जज्बातों से।
पीड़ा देने वालों को जब
गलती का एहसास नहीं
उसे रिश्ते की मर्यादा इक दिन
लाएंगी कल्पान्त कभी।
इतना भी मजबूर किसी को
करना बिल्कुल अनुचित है
नाजायज तौर से पीड़ित करने पर
प्रतिकूल परिणाम निश्चित है।
अत्याचार या अनाचार को
सर झुका कर सहन ना कर
मानसिक उत्पीड़न को ए बंदे
चुप्पी से ढ़ोना बंद कर।
बाहरी तन के आंशिक जख्म तो
मरहम से भर जाते हैं
पर मां पर लगी हुई गहरी चोटें
अनंत नासूर बन जाते हैं।
ऊपरी सतह पर ठेस पहुंचाना
तो गुनाह कहलाता है
मानसिक रूप से दिया आघात
समाज को नजर नहीं आता है।
अब खुद को बदलना होगा रे बंदे
आवाज बुलंद करनी होगी
शिष्टाचार की सीमाएं लांघकर
खुद ही पहल करनी होगी।
कोई नहीं जब चाहे समझना
काम बने ना बातों से
शब्दों के तीखे तीर चला दो
जो खेल कोई जज्बातों से।
पीड़ा देने वालों को जब
गलती का एहसास नहीं
उसे रिश्ते की मर्यादा इक दिन
लाएंगी कल्पान्त कभी।
इतना भी मजबूर किसी को
करना बिल्कुल अनुचित है
नाजायज तौर से पीड़ित करने पर
प्रतिकूल परिणाम निश्चित है।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
पोस्ट : २३ , अपेक्षाएं अनंत दुख का कारण by Ruchi Agarwal
(23/02/2025)
जीवन से कुछ सीख मिली है
सांझा करना चाहती हूं
उम्मीदों की डोर छोड़कर
आगे बढ़ना चाहती हूं ।
उम्मीद की टीस बड़ी दुखदाई
मन को रहने दे ना स्थाई
आशाओं की अटूट तरंगे
बहा ले जाए मन की उमंगे ।
जाने अंजाने मन की आशाएं
लोगों से जुड़ जाती हैं
और अपने मन के अनुकूल ही
सारे परिणाम चाहती है ।
ना हो कुछ मन के अनुकूल
तो क्रोध उत्पन्न हो जाता है
प्रेम ,समझ और संतुलन को
बेदिशा बहा ले जाता है ।
ज्यो ही समझ का संतुलन बिगड़े
हम बेकाबू हो जाते हैं
वाणी शब्दों पर ,बिन ध्यान दिए
व्यंग , कटाक्ष बरसते हैं ।
उम्मीदें पूरी न होने पर
हम ज्वालामुखी सम बन जाते हैं
भावनाओं को ताक पर रखकर
दूषित विचारधारा के, शिकार हो जाते हैं ।
क्रोध की अग्नि मन को जलाए
भस्म करे सारा सुख चैन
करते रहे हम यदि अपेक्षा
सदैव रहेगा दिल बेचैन ।
(23/02/2025)
जीवन से कुछ सीख मिली है
सांझा करना चाहती हूं
उम्मीदों की डोर छोड़कर
आगे बढ़ना चाहती हूं ।
उम्मीद की टीस बड़ी दुखदाई
मन को रहने दे ना स्थाई
आशाओं की अटूट तरंगे
बहा ले जाए मन की उमंगे ।
जाने अंजाने मन की आशाएं
लोगों से जुड़ जाती हैं
और अपने मन के अनुकूल ही
सारे परिणाम चाहती है ।
ना हो कुछ मन के अनुकूल
तो क्रोध उत्पन्न हो जाता है
प्रेम ,समझ और संतुलन को
बेदिशा बहा ले जाता है ।
ज्यो ही समझ का संतुलन बिगड़े
हम बेकाबू हो जाते हैं
वाणी शब्दों पर ,बिन ध्यान दिए
व्यंग , कटाक्ष बरसते हैं ।
उम्मीदें पूरी न होने पर
हम ज्वालामुखी सम बन जाते हैं
भावनाओं को ताक पर रखकर
दूषित विचारधारा के, शिकार हो जाते हैं ।
क्रोध की अग्नि मन को जलाए
भस्म करे सारा सुख चैन
करते रहे हम यदि अपेक्षा
सदैव रहेगा दिल बेचैन ।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
पोस्ट: २४, परेशानी परेशानी नहीं होती by Ruchi Agarwal (26/02/2025)
परेशानी परेशानी नहीं होती
जब साथ हो तुम्हारा
हर डगर लगे आसान
जब हाथों में हाथ हो तुम्हारा
आईना हो तुम मेरा
बिन कहे सब समझ जाते हो
मेरी हर उलझनों को
बड़े प्रेम से सुलझाते हो
तुम क्या हो मेरे लिए
शब्दों में कैसे बताऊं
हर डगर पर हरदम यूं ही
मैं साथ तुम्हारा चाहूं
परेशानी परेशानी नहीं होती
जब साथ हो तुम्हारा
हर डगर लगे आसान
जब हाथों में हाथ हो तुम्हारा
आईना हो तुम मेरा
बिन कहे सब समझ जाते हो
मेरी हर उलझनों को
बड़े प्रेम से सुलझाते हो
तुम क्या हो मेरे लिए
शब्दों में कैसे बताऊं
हर डगर पर हरदम यूं ही
मैं साथ तुम्हारा चाहूं
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
पोस्ट : २५, केवल तुम, by Ruchi Agarwal (26/02/2025)
तुमसे ही बस प्रीत है केवल
तुमसे ही हर आस है
तेरे ही नाम की माला
जपे मेरी हर सांस है
हरदम तेरा नाम लबों पर
नैनो में भी, तुम ही समाए हो
हर मुश्किल में तुम ही मेरा
हाथ थामने आए हो
तेरे बिना मेरा नहीं गुजारा
तू ही मेरा विश्वास है
तुमसे ही बस प्रीत है केवल
तुमसे ही हर आस है
तुमसे ही बस प्रीत है केवल
तुमसे ही हर आस है
तेरे ही नाम की माला
जपे मेरी हर सांस है
हरदम तेरा नाम लबों पर
नैनो में भी, तुम ही समाए हो
हर मुश्किल में तुम ही मेरा
हाथ थामने आए हो
तेरे बिना मेरा नहीं गुजारा
तू ही मेरा विश्वास है
तुमसे ही बस प्रीत है केवल
तुमसे ही हर आस है
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
पोस्ट: २६, सांसों पर अधिकार, by Ruchi Agarwal (26/02/2025)
जीवन रथ की डोर मैने
सौंप दी अपने ईश्वर को
भला बुरा जीवन का सारा
है समर्पित सब उनको
हर सांसों पर मेरे अब तो
ईश्वर का ही पहरा है
मेरे मन में उनके लिए
विश्वास अटूट और गहरा है
निश्चिंत हो गई हु में पूरी
अब मन में कोई खौफ नहीं
अब वो ही जाने मेरा सब कुछ
क्या गलत और क्या सही
जीवन रथ की डोर मैने
सौंप दी अपने ईश्वर को
भला बुरा जीवन का सारा
है समर्पित सब उनको
हर सांसों पर मेरे अब तो
ईश्वर का ही पहरा है
मेरे मन में उनके लिए
विश्वास अटूट और गहरा है
निश्चिंत हो गई हु में पूरी
अब मन में कोई खौफ नहीं
अब वो ही जाने मेरा सब कुछ
क्या गलत और क्या सही
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
पोस्ट: २७ , सपने में सपना देखा , by Ruchi Agarwal (26/02/2025)
सपने में सपना देखा
और अंदर तक में सिहर गई
खुदकी नासमझी के कारण
मैं टूटकर बिखर गई
थी इतनी सी मेरी गलती
जो आंख मूंद विश्वास किया
इस खुद गर्ज दुनिया को
समझने का प्रयास किया
क्या सही और क्या गलत
ये नहीं समझ में पाती हु
मक्कारी युक्त इस दुनिया के
क्यों छलावे में आ जाती हूं
सपने में सपना देखा
और अंदर तक में सिहर गई
खुदकी नासमझी के कारण
मैं टूटकर बिखर गई
थी इतनी सी मेरी गलती
जो आंख मूंद विश्वास किया
इस खुद गर्ज दुनिया को
समझने का प्रयास किया
क्या सही और क्या गलत
ये नहीं समझ में पाती हु
मक्कारी युक्त इस दुनिया के
क्यों छलावे में आ जाती हूं