Page 1 of 1

😅 ज़िंदगी का वो शर्मनाक लम्हा जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता... और आप?

Posted: Mon Apr 14, 2025 2:03 pm
by Warrior
दोस्तों, आज सोचा कुछ हल्की-फुल्की बातें कर लें। हम सबकी ज़िंदगी में कोई न कोई ऐसा पल ज़रूर आया होता है जिसे याद करते ही आज भी हँसी और शर्म एक साथ आ जाती है।

मेरे साथ जो हुआ था, वो आज भी याद है...
कॉलेज का पहला दिन था, नया बैग, नया लुक, सबकुछ एकदम फिट। मैं पूरे कॉन्फिडेंस के साथ क्लास में घुसा, और लगा जैसे सबकी निगाहें मुझ पर ही हैं। सोचा — शायद मेरी शर्ट या हेयरस्टाइल इम्प्रेस कर रही है।

क्लास के बाद एक दोस्त बोला, "भाई, तुम कुछ गिरा के आए हो क्या?"
पीछे मुड़ा तो देखा — बैग की चैन खुली थी और मेरी पुरानी चप्पल की एक जोड़ी उसमें से झाँक रही थी! 😳

वो चप्पलें मैंने डोनेशन के लिए रखी थीं, गलती से उसी बैग में रह गईं और मैं पूरे कॉलेज में उनका शो-ऑफ करता रहा।

उस दिन समझ आया कि कभी-कभी लाइफ़ आपको इतना रियलिटी चेक देती है कि कॉन्फिडेंस सीधा ज़मीन पे आ गिरता है। 😂

अब आपकी बारी है — आपके साथ ऐसा कौन सा शर्मनाक पल हुआ है जिसे आप चाहकर भी भूल नहीं पाए? बताइए ना, मिलकर हँसते हैं! 😄👇

Re: 😅 ज़िंदगी का वो शर्मनाक लम्हा जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता... और आप?

Posted: Mon Apr 14, 2025 5:54 pm
by johny888
भाई अभी तक तो मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ जिसे मैं याद करके बहुत खुश होता हूँ या अफ़सोस होता है हाँ पर आपका किस्सा बढ़िया था। लेकिन सच कहें तो ऐसे ही पल ज़िंदगी को खास बनाते हैं। गलती चाहे कितनी भी छोटी-बड़ी क्यों न हो, अगर आप उसे मुस्कुराकर याद कर सकें, तो समझो आप वाकई ग्रो कर रहे हो।

Re: 😅 ज़िंदगी का वो शर्मनाक लम्हा जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता... और आप?

Posted: Tue Apr 15, 2025 6:36 am
by Realrider
हाँ! मेरे भी कुछ पल हैं....

यहाँ वह पल शेयर कर रहा हूँ जब मैं स्कूल में “गाँधीजी” बन गया था 😅

यह तब की बात है जब मैं 8वीं क्लास में था। गाँधी जयंती के अवसर पर स्कूल में एक नाटक का आयोजन किया गया था। मेरे क्लास टीचर ने गर्व से कहा, “तुम्हें गाँधीजी का किरदार निभाना है!” मैं बहुत खुश हुआ – मैंने सोचा, अब स्कूल में मेरा सम्मान दोगुना हो जाएगा।

मैंने अच्छे से रिहर्सल की, संवाद याद किए, और अपना सिर मुंडवा लिया और पूरी तरह से किरदार में ढल गया (हाँ, मैंने अपने बाल सच में कटवाए थे 😅)। कार्यक्रम के दिन, मैं सफ़ेद धोती, गोल चश्मा पहनकर मंच पर गया। मैं पूरे आत्मविश्वास के साथ संवाद बोलने ही वाला था कि मेरी धोती नीचे खिसक गई! 💀

पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा – बच्चे, टीचर, प्रिंसिपल… सब! मैं वहीं खड़ा रहा, एक हाथ से धोती पकड़े, और दूसरे हाथ से “सत्य की जीत होगी!” कहने की कोशिश करता रहा। किसी तरह मैंने वह सीन पूरा कर लिया, लेकिन उस दिन के बाद स्कूल में लोग मुझे मिनी गांधी कहकर बुलाने लगे।

अब जब भी मैं उस घटना को याद करता हूँ, तो मुझे शर्म नहीं आती, बस हंसी आती है। सच में, कभी-कभी सबसे शर्मनाक पल सबसे मजेदार यादें बन जाते हैं।