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बरसात के दिन

Posted: Fri Oct 18, 2024 7:51 am
by LinkBlogs
बूँदें गिरती, संगीत सुनाती,
धरती चूमती, खुशबू फैलाती।
काले बादल आसमान में छाए,
हरियाली में जीवन फिर से आए।

गिलहरी चहचहाती, पेड़ झूमते,
नदियाँ बहतीं, नई राह चुनते।
छाते खोले, लोग निकल पड़े,
बरसात की खुशियों में सब रंगड़े।

चाय की चुस्की, पकोड़ों का स्वाद,
दिल में उमंगें, मन में है राग।
भिगोने आए, बादलों के ये साए,
बरसात के दिन, सबको भाए।

चुनचुन करते, बच्चे खेलते,
कागज़ की नावें, पानी में तैरते।
खुशियाँ हैं बसी, इन बरसातों में,
जिंदगी का रंग है, इन सावन के मौसम में।

बरसात के ये दिन, दिल को भाए,
हर बूँद में छिपे, प्यार के साए।
खुशियों का संसार, बूँदों की बारिश,
साथ मिलकर मनाएं, ये प्यारी बरसात।

Re: बरसात के दिन

Posted: Fri Oct 18, 2024 11:27 pm
by manish.bryan
बरसात के दोनों पर लिखा गया पोस्ट काफी रुचिकर है और जिस तरह से अपने देखें सैलरी में लेखक ने प्रकृति का वर्णन किया है उसे देखकर समझ में आता है कि नहीं प्रकृति से बहुत प्यार है।

बरसात पर ऐसे तो मैं बहुत सारे देख पड़े हैं लेकिन आपका पोस्ट के माध्यम से पहुंचाई जा रही है कृत काफी अच्छी लग रही है और इसे इस फार्म पर हमारे बीच साझा करने के लिए आपको किधर से आभार व्यक्त करता हूं।

Re: बरसात के दिन

Posted: Wed Nov 20, 2024 3:21 pm
by Bhaskar.Rajni
बरसात के दिन
रिमझिम गिरती बूंदे,
बादलों से ढका आसमां
और उन बादलों से झरती बूंदे
कैसी निखार आती है कुदरत
मनमोहन हो जाता है हर पल
अब अच्छी लगने लगी है बरसातें
जब से होने लगी है तुझसे बातें