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गजब : वैज्ञानिकों ने खोजा ‘कॉटन कैंडी’ जैसा नरम और हल्‍का ग्रह

Posted: Sun Aug 18, 2024 7:51 pm
by LinkBlogs
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जब भी किसी प्‍लैनेट यानी ग्रह का जिक्र होता है तो जेहन में भारी-भरकम चट्टानी स्‍ट्रक्‍चर याद आता है। लेकिन इस दफा वैज्ञानिकों ने एक एक्‍सोप्‍लैनेट (Exoplanet) को खोजा है, जो नरम और हल्‍का है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने इसकी तुलना कॉटन कैंडी (cotton candy) से की है। एक्‍सोप्‍लैनेट उन ग्रहों को कहा जाता है जो हमारे सूर्य की नहीं, किसी और तारे की परिक्रमा करते हैं। एक्‍सोप्‍लैनेट का नाम WASP-193 b है। यह हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति की चौड़ाई का लगभग 1.5 गुना है, लेकिन इसका द्रव्यमान बृहस्‍पति के दसवें हिस्से जितना है।

यही वजह है कि WASP-193 b को एक्‍सोप्‍लैनेट्स के मामले में दूसरा सबसे हल्‍का ग्रह कहा जा रहा है। वैज्ञानिक अबतक 5400 से ज्‍यादा एक्‍सोप्‍लैनेट्स को खोज चुके हैं। सबसे हल्‍का एक्‍सोप्‍लैनेट Kepler 51 d को कहा जाता है।

बात करें, WASP-193 b की तो यह हमारी पृथ्‍वी से लगभग 1200 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह अपने तारे से करीब 6.3 मिलियन मील की दूरी पर उसकी परिक्रमा करता है। इसे अपने सूर्य का एक चक्‍कर पूरा करने में 6.2 पृथ्‍वी दिवस लग जाते हैं।

यह खोज वैज्ञानिकों के लिए उत्‍साह बढ़ाने वाली है। वह सोलर सिस्‍टम के बाहर मौजूद ग्रहों को तलाशने के लिए और उत्‍सुक होंगे। क्‍या पता किसी दिन ऐसा प्‍लैनेट भी मिल जाए, जहां जीवन की संभावना हो। इस खोज को अंजाम देने वाली टीम के को-लीडर और मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्‍नॉलजी (MIT) के साइंटिस्‍ट खालिद बरकौई ने एक बयान में कहा कि इतनी कम डेंसिटी वाले विशाल ग्रहों को ढूंढना दुर्लभ है। इसे आप फूला हुआ बृहस्‍पति भी कह सकते हैं। हालांकि यह रहस्‍य है कि असल में वह क्‍या है।

वैज्ञानिकों की टीम ने वाइड एंगल सर्च फॉर प्लैनेट्स (WASP) सिस्‍टम का इस्‍तेमाल करके WASP-193 का पता लगाया। WASP को दो रोबोटिक ऑब्‍जर्वेटरी और टेलीस्‍कोप एैरे मिलाकर बनाया गया है। एक ऑब्‍जर्वेटरी उत्तरी गोलार्ध में और दूसरी दक्षिणी गोलार्ध में है। यह रिसर्च जर्नल नेचर एस्‍ट्रोनॉमी में पब्लिश हुई है।
Source: https://hindi.gadgets360.com/science/sc ... ws-5675867

Re: गजब : वैज्ञानिकों ने खोजा ‘कॉटन कैंडी’ जैसा नरम और हल्‍का ग्रह

Posted: Sun Aug 18, 2024 8:28 pm
by Warrior
इतने कम घनत्व वाले इन विशालकाय पिंडों को खोजना वाकई बहुत दुर्लभ है।

ग्रहों का एक वर्ग है जिसे पफी जुपिटर कहा जाता है, और यह पिछले 15 सालों से रहस्य बना हुआ है कि वे क्या हैं। और यह उस वर्ग का एक चरम मामला है।

आमतौर पर, बड़े ग्रहों का पता लगाना बहुत आसान होता है क्योंकि वे आम तौर पर बड़े होते हैं और अपने तारे पर बड़ा खिंचाव पैदा करते हैं। लेकिन इस ग्रह के बारे में जो बात मुश्किल थी, वह यह थी कि भले ही यह बड़ा है - विशाल - इसका द्रव्यमान और घनत्व इतना कम है कि इसे केवल रेडियल वेलोसिटी तकनीक से पता लगाना वास्तव में बहुत मुश्किल था। यह एक दिलचस्प मोड़ था

Re: गजब : वैज्ञानिकों ने खोजा ‘कॉटन कैंडी’ जैसा नरम और हल्‍का ग्रह

Posted: Sun Sep 08, 2024 7:17 pm
by manish.bryan
पहले बचपन की कक्षाओं में हमें नवग्रह ऑन के बारे में पढ़ाया गया हमने याद किया लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े हुए तो पता चला कि ग्रहों की संख्या तो अनंत है और देखिए इस श्रृंखला में अभी कॉटन कैंडी जो की एक सॉफ्ट प्लेनेट के रूप में बोला जा रहा है हम आम जनमानस के बीच बहुत तेजी से वायरल हो रहा है।

कॉटन कैंडी की खोज वैज्ञानिकों ने की है जिसे बृहस्पति के घनत्व से करीब डेढ़ गुना ज्यादा और उसके वजन से एक बात दसवां हिस्सा बताया जा रहा है जिससे साफ होता है किया शुक्र बुध मंगल पृथ्वी चंद आदि ग्रहों से बड़ा ग्रह हो गया है तो एक और नए ग्रह की इस तरह से शानदार एंट्री हो गई है।

यह देखना काफी दिलचस्प होगा किस ग्रह को वैज्ञानिक कैसे मान्यता देते हैं और आने वाले समय में इस ग्रह पर क्या नई खोज की जाने वाले हैं क्योंकि ग्रहण पर जीवन की तलाश मानव जीवन पर बहुत तेजी से होने लगी है।

जो शायद हमें दिख नहीं रहा है वह पर्यावरण में संतुलन तेजी से व्याप्त हो रहा है और आने वाले समय में मानव जीवन को खतरा कर कहा जाए तो यह कोई काम नहीं क्योंकि ग्लेशियर का खत्म होना और पानी का खड़ा होना इसका सबसे मुख्य कारण है जो हमारे आने वाली पीढियां को भुगतना पड़ेगा।

Re: गजब : वैज्ञानिकों ने खोजा ‘कॉटन कैंडी’ जैसा नरम और हल्‍का ग्रह

Posted: Sat May 10, 2025 1:02 pm
by johny888
यह तो समझ नहीं आता कि वैज्ञानिकों को हर छोटे-मोटे ग्रह को लेकर इतना उत्साहित क्यों होना चाहिए। WASP-193 b को "कॉटन कैंडी" जैसा हल्का और नरम कहकर उसकी खासियतें गिनाई जा रही हैं, लेकिन क्या सच में यह इतना महत्वपूर्ण है? ग्रह के आकार और द्रव्यमान को देखकर ये तय नहीं किया जा सकता कि वहाँ जीवन संभव हो सकता है या नहीं। वैसे भी, क्या हम अपनी पृथ्वी पर मौजूदा पर्यावरण संकट को लेकर कुछ कर रहे हैं या बस दूसरे ग्रहों पर ध्यान दे रहे हैं?