Source: https://www.indiatv.in/world/asia/the-e ... 17-1060659बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हिंसक प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है। कई जगहों पर हिंसक झड़पों की खबर सामने आई है, जिसमें कम से कम 6 लोग मारे गए हैं और काफी संख्या में घायल भी हुए हैं। प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर छात्र हैं। ऐसे में सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों को बंद करने का आदेश दिया है।
ढाकाः बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का जिन्न सामने आ गया है। आरक्षण की व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई है। इसके मद्देनजर अधिकारियों ने बुधवार को सभी विश्वविद्यालयों से शिक्षण गतिविधियां बंद करने का आग्रह किया। कुछ विश्वविद्यालयों ने तुरंत इसका अनुपालन किया, लेकिन कुछ विश्वविद्यालयों ने अभी इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने छात्रों की सुरक्षा के लिए सभी सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों से अगली सूचना तक कक्षाएं स्थगित करने और छात्रावास खाली कराने को कहा है। देश के विश्वविद्यालय स्वायत्त रूप से संचालित होते हैं। सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर बांग्लादेश के प्रमुख शहरों में प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस के बीच हुई झड़प में मंगलवार को तीन विद्यार्थियों सहित कम से कम छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक अन्य लोग घायल हो गए।
ढाका में पुलिस और पीएसी तैनात
बुधवार को भी ढाका विश्वविद्यालय और देश के अन्य स्थानों पर छिटपुट विरोध प्रदर्शन हुए। परिसर में पुलिस तैनात की गई, जबकि अर्धसैनिक सीमा बल ढाका और अन्य बड़े शहरों में सड़कों पर गश्त कर रहे हैं। मौजूदा आरक्षण व्यवस्था के तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों के लिए 30 फीसदी नौकरियां, प्रशासनिक जिलों के लिए 10 प्रतिशत, महिलाओं के लिए 10 प्रतिशत, जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए पांच प्रतिशत और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए एक प्रतिशत नौकरियां आरक्षित हैं। (एपी)
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का जिन्न आया सामने, हिंसक प्रदर्शन में 6 लोगों की मौत; सभी विश्वविद्यालय बंद
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बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का जिन्न आया सामने, हिंसक प्रदर्शन में 6 लोगों की मौत; सभी विश्वविद्यालय बंद
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आरक्षण को लेकर कुछ लोग इसे सामाजिक समानता लाने का जरिया मानते हैं, जबकि अन्य इसे योग्यता के खिलाफ बताते हैं। आरक्षण का उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से वंचित वर्गों को अवसर देना होता है, लेकिन अगर इसे ठीक से लागू नहीं किया गया, तो यह योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय भी कर सकता है। यह जरूरी है कि आरक्षण का आधार जरूरत और वास्तविक पिछड़ापन हो, न कि केवल जाति या समुदाय।