हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

अंतरराष्ट्रीय हिन्दी पखवाड़ा उत्सव (१ सितंबर - १४ सितंबर २०२४ ) के अंतर्गत हिन्दी एवं हिन्दी साहित्य को उसके मूल देव-नागरी लिपि में प्रोत्साहन देने हेतु विभिन्न प्रतियोगिताओं की विस्तृत जानकारी यहाँ पाएं ।

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2. सदस्यों द्वारा करी गई प्रत्येक पोस्टिंग का मौलिक एवं अर्थपूर्ण होना अपेक्षित है।

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4. किसी भी विवादित स्थिति में हिन्दी डिस्कशन फोरम संयुक्त परिवार के management द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।

5. यह फोरम एवं इसमे आयोजित सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।

यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
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एक उम्र वो जो तेरे साथ गुजरी,
एक उम्र वो जो तेरे बाद गुजरी,
दोनों में फकत बस इतना फर्क रहा,
एक तेरे खयाल में गुजरी,
एक तेरे मलाल में गुजरी ।
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यूं तो तुझसे मीलों का फासला है मेरा,
फिर भी तुमसे अनजाना राब्ता है मेरा,
ढूंढ रहें हैं ये दुनिया वाले अब हर कहीं मुझको,
नहीं जानते की तेरा दिल आज से है पता मेरा।
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तेरी यादों के सिलसिले
अब हमने कम ही रखे हैं,
खुशियां बांट दी सारे ज़माने में
अपने लिए सिर्फ गम ही रखे हैं,
तू मुस्कुरा सके हर हाल में
बस इसलिए हमने,
अपनी आंखों के समंदर
अब नम ही रखे हैं ।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

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मोहब्बत थी ही नहीं शायद,
तो तुमसे गिला क्या करते ,

शिकवे,शिकायतें और नाराज़गी का,
सिलसिला क्या करते ,

मेरे लिए तुम ही काफी थे,
इस राह-ए-ज़िंदगी में,

बाकी तेरे बगैर हम ,
ये काफिला क्या करते।
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तेरी मौजूदगी मेरी जिंदगी में
कुछ इस कदर खास रहती है,

कि इन बेचैन निगाहों को अब
हर पल तेरी तलाश रहती है,

यूं तो मिलती हूं मुस्कुराकर
इन दिनों हर किसी से मैं ,

पर यकीनन तेरे बिना अब
ये मेरी तबियत नासाज़ रहती है।
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जितना उससे बिछड़ने का गम है मुझको,
उतना तो वो मुझको कभी मिला ही नहीं।

दिल ने जो रख लिया ताउम्र संभाल के,
उतना बड़ा तो ये सिलसिला ही नहीं।

उसने दोस्ती से बढ़कर कभी कोई जुर्रत नहीं की,
मेरे इश्क को भी उससे कोई गिला ही नहीं।

बड़े खुलूस से निभाए दोनों ने पाकीजा से रिश्ते,
इबादत में इससे बेहतर कोई सिला ही नहीं।
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तुम दूर रहो या पास रहो,
बन कर मीठा अहसास रहो ,

रह जाओ दिल और धड़कन में,
बन कर मेरे खास रहो ,

छू पाऊं तुमको आंखों से,
महसूस करूं इस धड़कन में ,

फिर सर्दी की धूप रहो,
या फिर रिमझिम बरसात रहो,

तुमको देखूं और निहारूं,
तुमको ही बस सुनती जाऊं,

खामोशी के इस आलम में,
बन कर तुम आवाज रहो।
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मैं लफ्ज़ों में अगर कभी इज़हार नहीं करता,
तो ये ना समझना कि मैं तुमसे प्यार नहीं करता ,

चाहता हूं तुझे मैं हद से भी ज्यादा मगर,
तेरी सोच में अपना वक्त बेकार नहीं करता ,

जो कुछ मिला है तुझसे बस उसी में खुश हूं,
तेरे लिए खुदा से अब मैं तकरार नहीं करता ,

मगर कुछ तो बात है तेरी फितरत में ऐ!ज़ालिम,
वरना मैं तुझे चाहने की खता बार-बार नहीं करता ।
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फकत दुनियादारी का,
अब हमको क्या ही करना है,

तुझसे ताल्लुक है मेरा,
बस तेरे दिल में रहना है,

जिस्म का क्या ये मिट्टी है,
और मिट्टी में मिल जायेगा,

रूह की तुमसे निसबत है,
बस सजदा तेरा करना है।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

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तुमसे मोहब्बत हुई तो जाना,
कि कैसे कोई इतना खास हो जाता है,

लाखों हसीं चेहरे हो ज़माने में मगर,
हर शह बस वही शख्स याद आता है,

यूं तो मिल ही जाती है हर वो चीज,
जिसकी ख्वाहिश भी ना की हो कभी,

मगर लाख मन्नतों और दुआओं के बाद भी,
सिर्फ एक उससे ही मिलना रह जाता है।
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