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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

Posted: Wed Feb 26, 2025 6:44 pm
by Ruchi Agarwal
पोस्ट :२८, प्रभाव , by Ruchi Agarwal (26/02/2025)

खिल उठा है मन मेरा
महके खुशबू चहूं ओर ,
वो रोशनी का स्रोत मन को
खींचे अपनी ओर,
आनंद विभोर हो जाती हूं मैं
नाचे मन में मोर ,
झूम उठे हर जर्रा जर्रा
नहीं खुशी का ठोर।
कितना आलौकिक और सुखद
लगता ये मन का भाव
छोड़ जाता अनंत काल तक
जीवन में प्रभाव

Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

Posted: Sun Mar 02, 2025 8:57 am
by utopian_writeups
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Post NO.- 01


पहली मुलाकात के इंतजार कुछ ऐसे खास होते हैं ,
कुछ ऐसे रिश्ते भी इस संसार में बहुत खास होते हैं ,
मीलों के फासले भी जुदा नहीं कर पाते उन रिश्तों को ,
कुछ इस कदर एक दूजे के प्यार में दोनों साथ होते हैं।

Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

Posted: Sun Mar 02, 2025 9:26 am
by utopian_writeups
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Post NO.- 02


ख़्वाबों को तेरे मैंने कभी मैने मरने ना दिया ,
दामन तेरा गमों से कभी मैने भरने ना दिया ,
इस दिल की वीरानियों में बहुत आए पनाहगार मगर ,
हक़ सिर्फ तुम्हारा था तो किसी ग़ैर को ठहरने ना दिया।

Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

Posted: Sun Mar 02, 2025 9:28 am
by utopian_writeups
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Post NO.- 03


अश्कों का आंखों से आज समंदर बह गया ,
ये गुज़रा पल अफसाने में कुछ यूं कह गया ,
इक हक़ीक़त जिससे मुसलसल वाक़िफ हूं मैं कि ,
एक ख़्वाब तुझे पाने का बस ख़्वाब बनकर ही रह गया।

Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

Posted: Sun Mar 02, 2025 9:30 am
by utopian_writeups
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Post NO.- 04


रंगत गुलाब सी मेरे चेहरे पर बिखर जाती है ,
तेरे ख्यालों की खुशबू जब भी मेरे ज़हन से टकराती है ,
ना होश ख़ुद का, ना काबू में रहती हैं धड़कनें ,
कि तेरे नाम की मिठास जब भी मेरी जुबां पर आती है।

Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

Posted: Sun Mar 02, 2025 9:44 am
by utopian_writeups
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Post NO.- 05


मुझको भी सीखनी है अब ये दुनियादारी ,
रास नहीं आ रही है मुझको मेरी समझदारी ,
जो आता है मतलब निकाल कर चला जाता है ,
मैं कभी पहचान नहीं पाया सादगी में छुपी मक्कारी ,
लोग कहते हैं जो जैसा है उसके साथ वैसा करो ,
पर क्या करूं मुझे आती नहीं है इतनी होशियारी ,
अपने ही बनाते हैं तमाशा प्यार,मोहब्बत जैसे एहसासों का ,
नहीं चाहिए अब मुझे ऐसे रिश्ते,ऐसी दोस्ती,ऐसी यारी।।

Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

Posted: Sun Mar 02, 2025 8:07 pm
by utopian_writeups
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जिम्मेदारियों के बोझ में कुछ यूं दब जाते हैं ,
सबसे अपना गम छुपा कर हमेशा ही मुस्कुराते हैं ,
मर्द को दर्द नहीं होता इस बात को सच मानकर ,
ताउम्र ही अपना दर्द छुपाते हैं,
हां वही ज़माने की नजर में एक सच्चे पुरुष कहलाते हैं।

Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

Posted: Sun Mar 02, 2025 8:09 pm
by utopian_writeups
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Post NO.- 07


रूह का ज़िस्म में बसर ही तो है ,
ज़िंदगी क्या है चंद लम्हों का सफ़र ही तो है ,
तुम दुआओं की दौलत इकठ्ठी करो ,
ज़िंदगी की खुशियां दुआओं का असर ही तो है ,
ज़िंदगी में कहीं गम तो कहीं खुशियां हैं,
कट जाती है मगर सबकी आखिर उमर ही तो है।

Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

Posted: Sun Mar 02, 2025 8:11 pm
by utopian_writeups
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Post NO.- 08


लिखने को तो लिख दूं हर एहसास उसके नाम ,
ज़िंदगी तो ये आम है मगर ख़ास उसके नाम ,
यूं तो नामुमकिन है उसका मेरे रूबरू रहना ,
चल रही है फिर भी मगर हर सांस उसके नाम ,
टूटती ख्वाहिशों को जैसे उसका ही सहारा है ,
इसी उम्मीद से वाबस्ता है हर आस उसके नाम ,
ढूंढों तो मिल ही जाएगा ख़ुदा भी एक दिन ,
मगर जिद्दी इस दिल की अब हर तलाश उसके नाम ।

Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)

Posted: Sun Mar 02, 2025 8:13 pm
by utopian_writeups
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Post NO.- 09


बीती हर बात को ख़ामोशी में भूल जाने दो ,
आज मुझको मेरी तन्हाई में खो जाने दो ,
आसां नहीं है दिल के दर्द को छिपाए रखना ,
आज हर दर्द को अश्कों में बह जाने दो ,
साये को भी गंवारा नहीं अब तो साथ अपना ,
जिस्म का बोझ अब साये से उतर जाने दो ,
हम तो याद रखेंगे वफ़ा का सबक हरदम ,
चलो! उनको बेवफाई करके भूल जाने दो ।