इन भाषाओं का स्वरूप मुख्य रूप से वैदिक साहित्य से मिलता है.
वैदिक संस्कृत और लौकिक संस्कृत, प्राचीन भारतीय आर्य भाषाओं के दो प्रमुख रूप हैं.
ऋग्वेद से वैदिक भाषा का, वाल्मीकि रामायण से लौकिक संस्कृत का कवि माना गया है.
पाणिनी ने 500 ईसा पूर्व में इस भाषा में व्याकरणिक रूप 'अष्टाध्यायी' की रचना की थी.
आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का विकास अपभ्रंश या तृतीय प्राकृत से हुआ है.
भारतीय-आर्यन भाषाओं का इतिहास
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हिन्दी डिस्कशन फोरम में पोस्टिंग एवं पेमेंट के लिए नियम with effect from 01.06.2025
1. यह कोई paid to post forum नहीं है। हम हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिये कुछ आयोजन करते हैं और पुरस्कार भी उसी के अंतर्गत दिए जाते हैं। अभी निम्न आयोजन चल रहा है
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2. सदस्यों द्वारा करी गई प्रत्येक पोस्टिंग का मौलिक एवं अर्थपूर्ण होना अपेक्षित है।
3. अगर किसी सदस्य की postings में नियमित रूप से copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उसका account deactivate होने की प्रबल संभावना है।
4. किसी भी विवादित स्थिति में हिन्दी डिस्कशन फोरम संयुक्त परिवार के management द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
5. यह फोरम एवं इसमे आयोजित सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।
यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
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- अबकी बार, 500 पार?
- Posts: 450
- Joined: Mon Nov 18, 2024 3:19 pm
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- या खुदा ! एक हज R !!! पोस्टर महा लपक के वाले !!!
- Posts: 1003
- Joined: Tue Nov 19, 2024 5:59 pm
Re: भारतीय-आर्यन भाषाओं का इतिहास
प्राचीन भारतीय आर्य भाषाओं का काल 2500 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व माना जाता है.
इन भाषाओं का स्वरूप मुख्य रूप से वैदिक साहित्य से मिलता है.
प्राचीन भारतीय आर्य भाषाओं को दो भागों में बांटा गया है:
लौकिक संस्कृत (1000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व)
ऋग्वेद से वैदिक भाषा का और वाल्मीकी रामायण से लौकिक संस्कृत का कवि माना गया है
आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का विकास अपभ्रंश या तृतीय प्राकृत से हुआ है.
अपभ्रंश के तीन भेद पश्चिमी, पूर्वी, और दक्षिणी नाम से भी किए गए हैं.
आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में विदेशी शब्दों का भी प्रयोग होता है. ये शब्द अरबी, फ़ारसी, तुर्की, और अंग्रेज़ी से लिए गए हैं.
आधुनिक भारतीय आर्य भाषा परिवार में हिन्दी, उर्दू, मराठी, नेपाली, बांग्ला, गुजराती, कश्मीरी, डोगरी, पंजाबी और भी बहुत सी भाषा पर प्रकाश डाला गया है
इन भाषाओं का स्वरूप मुख्य रूप से वैदिक साहित्य से मिलता है.
प्राचीन भारतीय आर्य भाषाओं को दो भागों में बांटा गया है:
लौकिक संस्कृत (1000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व)
ऋग्वेद से वैदिक भाषा का और वाल्मीकी रामायण से लौकिक संस्कृत का कवि माना गया है
आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का विकास अपभ्रंश या तृतीय प्राकृत से हुआ है.
अपभ्रंश के तीन भेद पश्चिमी, पूर्वी, और दक्षिणी नाम से भी किए गए हैं.
आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में विदेशी शब्दों का भी प्रयोग होता है. ये शब्द अरबी, फ़ारसी, तुर्की, और अंग्रेज़ी से लिए गए हैं.
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