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Re: संयुक्त परिवार
Posted: Tue Dec 10, 2024 9:23 pm
by Bhaskar.Rajni
Anurag Srivastava wrote: Tue Dec 10, 2024 8:36 pm
जब परिवार की बात होती है तो दिमाग नहीं दिल की बात होती है ,
संयुक्त परिवार ही उपयुक्त होते है परन्तु कई खामियों के कारण एकल परिवार व्यवस्था बढ़ने लगी
नयी पीढ़ी की जब आंखें खुली तो उन्हें संयुक्त परिवार भाने लगा ,वे वहां भी अपना फायदा ही देखते रहें '
जब बात फायदे नुकसान की होगी तो परिवार की धारणा ही व्यर्थ होगी
समर्पण , सहयोग , प्रेम , सुख दुख में साथ का भाव , परिवार की नींव के पत्थर हैं
कहाँ है वो बड़े बुजुर्ग जो घर में आने जाने वाले पर नज़र रखते थे ?
कहाँ है वो बड़े बुजुर्ग जो घर में हर किसी से बात करते रहते थे
कोई खुद को अकेला नहीं महसूस करता था, बच्चे अकेला महसूस करते थे तो दादा दादी के पास बातें करते थे जाकर
कोई दिक्कत होती थी तो दादा दादी को बता देते थे और वो जाकर माँ बाप से बात कर लेते थे अब तो बस एकल परिवार ही देखने को मिलते है पर ढूंढते संयुक्त ही है
सही कहा आपने एक सिक्के के दो पहलू होते हैं जहां फायदे हैं वहां नुकसान भी हैं अब लोगों के अंदर सेंड छीलता कम हो गई है काम करने की सामर्थ काम हो गई है एक दूसरे की बात झेलने की सामर्थ्य भी कम हो गई है इसी कारण संयुक्त परिवार टूट रहे हैं और भी कई कारण है जैसे नौकरी की तलाश में बच्चों को बाहर जाना पड़ता है और आजकल लोग नहीं चाहते कि उनके मामलों में कोई तखलअंदाजी करें लेकिन संयुक्त परिवार में तो सब कुछ चलता था ज्यादा नुकसान बच्चों का हुआ है क्योंकि बच्चे अकेले रह गए हैं पहले दादा दादी के पास रहते थे उनकी निगरानी में रहते थे ।
Re: संयुक्त परिवार
Posted: Wed Dec 11, 2024 10:27 pm
by Suman sharma
LinkBlogs wrote: Thu Jul 18, 2024 1:49 pm
संयुक्त परिवार
संयुक्त परिवार, बड़ा अनोखा संसार,
प्यार, सहयोग, अपनापन अपार।
दादा-दादी का आशीर्वाद मिलता,
सबके दिलों में प्रेम पनपता।
माँ-पापा, चाचा-चाची,
सबके संग, हँसी की लहरें आती।
भाई-बहन का झगड़ा प्यारा,
सभी का साथ है सबसे न्यारा।
सुख-दुख में सब संग खड़े,
हर मुश्किल को मिलकर लड़े।
संयुक्त परिवार का अद्भुत बंधन,
हर दिल में बसता सच्चा अपनापन।
गूंथ गूंथ कर जैसे मोती
बन जाता है गले का हार
रिश्ते की डोरी से बंधकर
बनता है संयुक्त परिवार
बड़ों से बनती घर की छाया
बच्चों से बढ़ता है प्यार
सब मिलकर जब करें ठिठोली
घर आंगन में आये बहार
दादा जी की प्यारी बातें
दादी का हो प्यार दुलार
बच्चों के कोमल मन में तब
बढ़ता अपने बड़ों से प्यार
Re: संयुक्त परिवार
Posted: Wed Dec 11, 2024 10:30 pm
by Suman sharma
johny888 wrote: Sat Oct 26, 2024 2:38 pm
संयुक्त परिवार का महत्व हमारे समाज और संस्कृति में बहुत गहरा है। यह न सिर्फ आर्थिक और भावनात्मक सहयोग देता है, बल्कि संस्कार और परंपरा भी सिखाता है। संयुक्त परिवार में बच्चे अपने बड़ों से जीवन के मूल्य सीखते हैं, जिससे उनका नैतिक और सामाजिक विकास होता है।
परिवार किसी भी व्यक्ति की सफलता का आधार होता है, परिवार के महत्व को जाने बिना समाज का कल्याण नहीं किया जा सकता है। परिवार ही किसी भी सफल व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी होने का काम करता है, परिवार के महत्व को जाने बिना आप जीवन को सार्थक नहीं बना सकते हैं। देखा जाए तो इंसान जब दिन भर काम की थकान से चूर हो जाता है तो शाम को अपने परिवार के पास ही आता है
Re: संयुक्त परिवार
Posted: Wed Dec 11, 2024 10:32 pm
by Suman sharma
Stayalive wrote: Sat Oct 26, 2024 3:36 pm
युवा भारतीयों के बीच संयुक्त परिवार स्थापित करने में कुछ चुनौतियाँ उत्पन्न करने वाले कारक:
1. निजता और व्यक्तिगत स्थान की कमी
2. अलग-अलग पालन-पोषण शैली
3. जीवनशैली और अनुकूलता के मुद्दे
4. आपसी टकराव और ईर्ष्या
5. आधुनिक मीडिया और व्यक्तिवाद का प्रभाव
संयुक्त परिवार में एक ही चूल्हे पर पूरे परिवार का खाना पकता है और सभी को एक जैसा भोजन मिलता है।अगर परिवार का कोई सदस्य कमा नहीं रहा है, तो भी उसका पालन-पोषण बाकी सदस्यों की तरह ही होता है।संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग, अपने-अपने स्वभाव और नज़रिए के बावजूद भी एक साथ मिलकर रहते हैं।संयुक्त परिवार में एकता बनाए रखने के लिए, एक-दूसरे की कमियों को नज़रअंदाज़ करना पड़ता है और थोड़ा दिल बड़ा करना होता है।
Re: संयुक्त परिवार
Posted: Wed Dec 11, 2024 10:35 pm
by Suman sharma
Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 14, 2024 9:40 pm
संयुक्त परिवार भारत की परंपरा रही है संयुक्त परिवार पुराने जमाने में बहुत बड़े-बड़े परिवार होते थे और आपस में मिलजुल कर घी और शक्कर की तरह रहते थे आपस में कामों को भी बांट लिया जाता था किसी पर अधिक बोझ नहीं पड़ता था एक ही व्यक्ति जो घर में सबसे बुजुर्ग होता था उसी का ही निर्णय सर्वोपरि माना जाता था संयुक्त परिवारों में सहनशक्ति आपस में स्नेह भाव और संस्कार विकसित होते रहते थे जो कि अब एकाकी परिवारों में से गायब हो गए हैं।
संयुक्त परिवार भारत की प्राचीन प्रणाली रही है. हालांकि, शहरों में एकल परिवारों का प्रचलन बढ़ा है, लेकिन गांवों में आज भी संयुक्त परिवार प्रणाली प्रचलित है।आज भी संयुक्त परिवार को ही सम्पूर्ण परिवार माना जाता है। वर्तमान समय में भी एकल परिवार को एक मजबूरी के रूप में ही देखा जाता है। हमारे देश में आज भी एकल परिवार को मान्यता प्राप्त नहीं है औद्योगिक विकास के चलते संयुक्त परिवारों का बिखरना जारी है। परन्तु आज भी संयुक्त परवर का महत्त्व कम नहीं हुआ है।
Re: संयुक्त परिवार
Posted: Wed Dec 11, 2024 10:38 pm
by Suman sharma
Sonal singh wrote: Wed Nov 20, 2024 5:26 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 14, 2024 9:40 pm
संयुक्त परिवार भारत की परंपरा रही है संयुक्त परिवार पुराने जमाने में बहुत बड़े-बड़े परिवार होते थे और आपस में मिलजुल कर घी और शक्कर की तरह रहते थे आपस में कामों को भी बांट लिया जाता था किसी पर अधिक बोझ नहीं पड़ता था एक ही व्यक्ति जो घर में सबसे बुजुर्ग होता था उसी का ही निर्णय सर्वोपरि माना जाता था संयुक्त परिवारों में सहनशक्ति आपस में स्नेह भाव और संस्कार विकसित होते रहते थे जो कि अब एकाकी परिवारों में से गायब हो गए हैं।
संयुक्त परिवार आजकल के समय में देखने को कहां मिलते हैं.। पहले जमाने में लोग एक साथ रहते थे सारे भाई-बहू में बेटियां सास देवरानी जेठानी उसमें सबके बच्चे यह संयुक्त परिवार कहा जाता था। हर दुख में सुख में सब एक साथ खड़े होते थे। एक दूसरे का हाथ बटाते थे। आज शादियों में भाई-भाई साथ में खड़े नहीं होते। दुख सुख तो बहुत दूर की बात है। संयुक्त परिवारों में पहले बच्चों को संस्कार भी बहुत अच्छे दिए जाते थे। और संयुक्त परिवार में बड़े बुजुर्गों का डर भी होता था बच्चों को और बड़ों को भी। राजस्थान में आज भी कुछ गांव ऐसे हैं जहां संयुक्त परिवार के साथ रहते हैं।
संयुक्त परिवार के महत्त्व पर चर्चा करने से पूर्व एक नजर संयुक्त परिवार के बिखरने के कारणों ,एवं उसके अस्तित्व पर मंडराते खतरे पर प्रकाश डालने का प्रयास करते हैं। संयुक्त परिवारों के बिखरने का मुख्य कारण है रोजगार पाने की आकांक्षा .बढती जनसँख्या तथा घटते रोजगार के कारण परिवार के सदस्यों को अपनी जीविका चलाने के लिए गाँव से शहर की ओर या छोटे शहर से बड़े शहरों को जाना पड़ता है और इसी कड़ी में विदेश जाने की आवश्यकता पड़ती है।
Re: संयुक्त परिवार
Posted: Wed Dec 11, 2024 10:40 pm
by Suman sharma
Gaurav27i wrote: Thu Nov 21, 2024 9:54 pm
संयुक्त परिवार या की जिसे हम अंग्रेजी में जॉइंट फैमिली के नाम से भी जानते हैं वह आजकल हमारे कला वह हमारे कलर से मिटता जा रहा है इसका मुख्य कारण हम बढ़ती महंगाई लोगों में बढ़ती बढ़ती क्वालिटी वह आने वाली जनरेशन में रिश्तेदारों के प्रति हीन भावना भी कह सकते हैं यूं तो संयुक्त परिवार के बहुत से फायदे हैं पर आजकल की नहीं युवा पीढ़ी शादी के बाद ही अपने मां-बाप से अलग रहना चाहती है तो वह अन्य रिश्तेदारों के साथ क्या ही रहने की सोच पाएंगे इस विषय पर गौर करने की बात है कि यह सोच का कारण हमारी परवरिश वी हमारा एजुकेशन सिस्टम है
परंपरागत कारोबार या खेती बाड़ी की अपनी सीमायें होती हैं जो परिवार के बढ़ते सदस्यों के लिए सभी आवश्यकतायें जुटा पाने में समर्थ नहीं होता ।अतः परिवार को नए आर्थिक स्रोतों की तलाश करनी पड़ती है .जब अपने गाँव या शहर में नयी सम्भावनाये कम होने लगती हैं तो परिवार की नयी पीढ़ी को राजगार की तलाश में अन्यत्र जाना पड़ता है ।अब उन्हें जहाँ रोजगार उपलब्ध होता है वहीँ अपना परिवार बसाना होता है ।क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं होता की वह नित्य रूप से अपने परिवार के मूल स्थान पर जा पाए ।
Re: संयुक्त परिवार
Posted: Wed Dec 11, 2024 10:43 pm
by Suman sharma
Harendra Singh wrote: Sun Dec 08, 2024 4:28 pm
संयुक्त परिवार एक बहुत ही खुशहाल परिवार होता है.। जब हमारा संयुक्त परिवार था जब उसमें हम सारे लोग मिलकर रहते थे ताऊ ताई चाचा चाचा उनके बच्चे मम्मी पापा अम्मा बाबा साथ रहते थे। ऐसा लगता था मानो हमारे घर में कोई कार्यक्रम हो रहा हो.। शाम को सब एक साथ खाना खाते थे घर की महिलाएं खाना बनाती थी बच्चे धमा चौकड़ी मचाते थे। काम होते ही सभी बच्चों को हमारे अम्मा बाबा कहानी सुनाया करते थे। चचिया ताई मीठा बनाया करती थी। शाम को जब सब घर के बड़े घर आते थे लौट कर तो कुछ ना कुछ खाने के लिए जरूर लेकर आते थे तो संयुक्त परिवार का तो मजा ही कुछ और था। संयुक्त परिवार रहे कहां अब रिश्ते स्वार्थ के रिश्ते हो गए। अब सबको अपना-अपना परिवार चाहिए से ज्यादा कुछ नहीं।
अधिक सुविधाएँ पाने की लालसा के कारण पारिवारिक सहनशक्ति समाप्त होती जा रही है ,और स्वार्थ परता बढती जा रही है ।अब वह अपनी खुशिया परिवार या परिजनों में नहीं बल्कि अधिक सुख साधन जुटा कर अपनी खुशिया ढूंढता है ,और संयुक्त परिवार के बिखरने का कारण बन रहा है । एकल परिवार में रहते हुए मानव भावनात्मक रूप से विकलांग होता जा रहा है।
Re: संयुक्त परिवार
Posted: Wed Dec 11, 2024 10:46 pm
by Suman sharma
Anurag Srivastava wrote: Tue Dec 10, 2024 8:36 pm
जब परिवार की बात होती है तो दिमाग नहीं दिल की बात होती है ,
संयुक्त परिवार ही उपयुक्त होते है परन्तु कई खामियों के कारण एकल परिवार व्यवस्था बढ़ने लगी
नयी पीढ़ी की जब आंखें खुली तो उन्हें संयुक्त परिवार भाने लगा ,वे वहां भी अपना फायदा ही देखते रहें '
जब बात फायदे नुकसान की होगी तो परिवार की धारणा ही व्यर्थ होगी
समर्पण , सहयोग , प्रेम , सुख दुख में साथ का भाव , परिवार की नींव के पत्थर हैं
कहाँ है वो बड़े बुजुर्ग जो घर में आने जाने वाले पर नज़र रखते थे ?
कहाँ है वो बड़े बुजुर्ग जो घर में हर किसी से बात करते रहते थे
कोई खुद को अकेला नहीं महसूस करता था, बच्चे अकेला महसूस करते थे तो दादा दादी के पास बातें करते थे जाकर
कोई दिक्कत होती थी तो दादा दादी को बता देते थे और वो जाकर माँ बाप से बात कर लेते थे अब तो बस एकल परिवार ही देखने को मिलते है पर ढूंढते संयुक्त ही है
अनेक मजबूरियों के चलते हो रहे संयुक्त परिवारों के बिखराव के वर्तमान दौर में भी संयुक्त परिवारों का महत्त्व कम नहीं हुआ है ।बल्कि उसका महत्व आज भी बना हुआ है ।उसके महत्त्व को एकल परिवार में रह रहे लोग अधिक अच्छे से समझ पाते हैं ।उन्हें संयुक्त परिवार के फायेदे नजर आते हैं क्योंकि किसी भी वस्तु का महत्त्व उसके अभाव को झेलने वाले अधिक समझ सकते हैं।
Re: संयुक्त परिवार
Posted: Sun Dec 15, 2024 3:40 pm
by Sonal singh
Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 21, 2024 1:47 pm
Sonal singh wrote: Wed Nov 20, 2024 5:26 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 14, 2024 9:40 pm
संयुक्त परिवार भारत की परंपरा रही है संयुक्त परिवार पुराने जमाने में बहुत बड़े-बड़े परिवार होते थे और आपस में मिलजुल कर घी और शक्कर की तरह रहते थे आपस में कामों को भी बांट लिया जाता था किसी पर अधिक बोझ नहीं पड़ता था एक ही व्यक्ति जो घर में सबसे बुजुर्ग होता था उसी का ही निर्णय सर्वोपरि माना जाता था संयुक्त परिवारों में सहनशक्ति आपस में स्नेह भाव और संस्कार विकसित होते रहते थे जो कि अब एकाकी परिवारों में से गायब हो गए हैं।
संयुक्त परिवार आजकल के समय में देखने को कहां मिलते हैं.। पहले जमाने में लोग एक साथ रहते थे सारे भाई-बहू में बेटियां सास देवरानी जेठानी उसमें सबके बच्चे यह संयुक्त परिवार कहा जाता था। हर दुख में सुख में सब एक साथ खड़े होते थे। एक दूसरे का हाथ बटाते थे। आज शादियों में भाई-भाई साथ में खड़े नहीं होते। दुख सुख तो बहुत दूर की बात है। संयुक्त परिवारों में पहले बच्चों को संस्कार भी बहुत अच्छे दिए जाते थे। और संयुक्त परिवार में बड़े बुजुर्गों का डर भी होता था बच्चों को और बड़ों को भी। राजस्थान में आज भी कुछ गांव ऐसे हैं जहां संयुक्त परिवार के साथ रहते हैं।
केवल राजस्थान ही क्यों भारत के बहुत सारे राज्य ऐसे हैं जहां पर संयुक्त परिवार रहते हैं यह बात अलग है कि शहरों में यह चीज देखने को नहीं मिलती लेकिन गांव में आज भी यह परंपरा है खास करके पंजाब में तो ज्यादातर संयुक्त परिवार ही है क्योंकि वे खेती करते हैं तो जमीन सबकी भाइयों की एक साथ होती है साथ ही रहते हैं मैंने खुद देखा है संयुक्त परिवारों को एक संयुक्त परिवार तो यहां पर 100 लोगों का है लेकिन आप धीरे-धीरे अपने चूल्हे अलग कर लिए हैं लेकिन फिर भी साथ ही रहते हैं।
संयुक्त परिवार एक ऐसा परिवार होता है जिसमें एक ही वंश के सदस्य एक साथ रहते हैं. इसमें माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, ताऊ-ताई, चाचा-चाची, काका-काकी और उनकी संतानें शामिल होती हैं. संयुक्त परिवार में एक से ज़्यादा पीढ़ियां एक साथ रहती हैं. संयुक्त परिवार यह खास बातें होती हैं
संयुक्त परिवार में सदस्य एक-दूसरे के साथ भोजन तैयार करते हैं, भोजन इकट्ठा करते हैं, व्यापार करते हैं और बच्चों का पालन-पोषण करते हैं.
संयुक्त परिवार में पैतृक संपत्ति साझा की जाती है.
संयुक्त परिवार में सदस्य एक-दूसरे का सहयोग करते हैं.
संयुक्त परिवार में सदस्य एक-दूसरे के साथ रहते हैं और एक-दूसरे के साथ रहकर जीवन का आनंद लेते हैं.
संयुक्त परिवार में सदस्य एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत करते हैं.
संयुक्त परिवार में सदस्य एक-दूसरे के लिए ज़िम्मेदार होते हैं.
संयुक्त परिवार में सदस्य एक-दूसरे के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं.