Source: https://www.india.com/hindi-news/uttar- ... m-7134347/उत्तर प्रदेश भाजपा में टेंशन बढ़ने के साथ-साथ पार्टी के नेताओं में मतभेद कई मौकों पर खुलकर सामने आए हैं. भाजपा के सीनियर लीडर्स ने उत्तर प्रदेश भाजपा के भीतर उभरे मतभेदों पर सार्वजनिक तौर पर चिंता जाहिर कर चुके हैं. उत्तर प्रदेश भाजपा में पहले से चल रहा मतभेद तब खुलकर सामने आ गया जब पार्टी को लोकसभा चुनावों में मनमुताबिक नतीजे नहीं आ पाए.
आलाकमान की चेतावनी को नहीं मान रहे केशव
आलाकमान के रोकने की कोशिशों के बावजूद मतभेद कम होने का नाम नहीं ले रहा है. कुछ सीनियर लीडर्स ने केशव प्रसाद मौर्य को चेताया भी है कि वे योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बयान न दें. मुख्यमंत्री के अधिकार को कमतर आंकना उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए अच्छा संकेत नहीं हो सकता है. जिसका असर दूसरे राज्यों में देखने को मिल सकता है.
अदरूनी कलह के कई राज्यों में लग सकता है पलीता
अंदरूनी कलह का नतीजा आगे के गणित को पलीता लगा सकता है. आने वाले कुछ महीनों में ही महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए होने वाले हैं, जिनके ऊपर इसका असर हो सकता है.
पार्टी में पिछड़ा वर्ग का फेस हैं केशव प्रसाद मौर्य
हालांकि, केशव प्रसाद मौर्य के साथ धोखा किया गया. वह ओबीसी नेता और लंबे समय तक यूपी भाजपा का चेहरा रहे हैं. राज्य में सभी शीर्ष पदों पर काम कर चुके हैं. उनको इस बात की उम्मीद थी कि 2017 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. लेकिन, ऐसा नहीं किया गया और केशव प्रसाद मौर्य के सब्र का बांध अब टूटने लगा है. लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद वे और ही मुखर हो गए. इसके अलावा गठबंधन और पार्टी के अंदर कई पिछड़े नेताओं से अकेले में मुलाकात ने केशव प्रसाद मौर्य को ज्यादा ताकत मिल गई है. इसमें संजय निषाद, ओम प्रकाश राजभर और अनुप्रिया पटेल का नाम लिया जा सकता है, क्योंकि अनुप्रिया पटेल ने वही किया जो केशव प्रसाद मौर्य चाहते थे.
दो मौकों पर केशव ने कहा, सरकार से बड़ा है संगठन
केशव प्रसाद मौर्य ने दो मौकों पर यह कहा कि “संगठन सरकार से बड़ा है” और लखनऊ में अपने ‘कैंप कार्यालय’ में विधायकों और प्रमुख नेताओं की मेज़बानी कर रहे हैं, जिसमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर जैसे भाजपा के ओबीसी सहयोगी भी शामिल हैं. प्रयागराज क्षेत्र के पार्टी विधायकों के साथ आदित्यनाथ की बैठक में भी मौर्य अनुपस्थित रहे.
योगी खेमे का आरोप, गलती छुपाने के लिए कर रहे हैं बयानबाजी
हालांकि, पार्टी के अंदर नेताओं में इस बात को लेकर चर्चा होती है कि केशव प्रसाद मौर्य योगी पर इसलिए बयानबाजी कर रहे हैं क्योंकि योगी को उनके खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं. यह योगी के खेमे के लोगों का दावा है. सीएम के समर्थकों को यह भी भरोसा है कि मौर्य के पास ओबीसी नेता के रूप में अपना समर्थन आधार है, लेकिन आदित्यनाथ अभी भी यूपी में सबसे लोकप्रिय भाजपा चेहरा हैं और उन्हें दरकिनार करने से पार्टी को नुकसान हो सकता है.
मुख्यमंत्री बदलने से हो सकता है बड़ा नुकसान
भाजपा नेता यह भी बताने से नहीं चूकते हैं कि एक बार कल्याण सिंह को हटाए जाने पर उत्तर प्रदेश में सत्ता मिलने में 17 साल लग गए. 1999 में कल्याण सिंह को हटाया गया था. उसके बाद यूपी में भाजपा की वापसी 2017 में हुई.
सीनियर लीडर्स की चेतावनी के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य दे रहे हैं योगी के खिलाफ बयान, मौर्य को कहां से मिल रही है ताकत?
Moderators: हिंदी, janus, aakanksha24