पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
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हिन्दी डिस्कशन फोरम में पोस्टिंग एवं पेमेंट के लिए नियम with effect from 01.06.2025
1. यह कोई paid to post forum नहीं है। हम हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिये कुछ आयोजन करते हैं और पुरस्कार भी उसी के अंतर्गत दिए जाते हैं। अभी निम्न आयोजन चल रहा है
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2. सदस्यों द्वारा करी गई प्रत्येक पोस्टिंग का मौलिक एवं अर्थपूर्ण होना अपेक्षित है।
3. अगर किसी सदस्य की postings में नियमित रूप से copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उसका account deactivate होने की प्रबल संभावना है।
4. किसी भी विवादित स्थिति में हिन्दी डिस्कशन फोरम संयुक्त परिवार के management द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
5. यह फोरम एवं इसमे आयोजित सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।
यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
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Re: पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
भेड़िया और लकड़बग्घा की दोस्ती
जंगल में एक भेड़िया और लकड़बग्घा अच्छे दोस्त थे। दोनों मिलकर शिकार करते और भोजन बाँटते। लेकिन लकड़बग्घा हमेशा ज्यादा खाना खाने की कोशिश करता।
एक दिन, उन्हें एक घायल हिरण मिला। भेड़िये ने कहा, "चलो इसे आधा-आधा बाँटते हैं।"
लकड़बग्घा चालाकी से सारा खाना खुद खाने की सोचने लगा। उसने भेड़िये को गुमराह करने के लिए कहा, "देखो, वहाँ एक बड़ा शिकार है। तुम उसे पकड़ो, मैं यहाँ इंतज़ार करता हूँ।"
भेड़िया उसकी बात मानकर चला गया। जब वह लौटा, तो देखा लकड़बग्घा सारा भोजन खा चुका है। भेड़िया चुपचाप चला गया, लेकिन उसने लकड़बग्घे से दोस्ती खत्म कर दी।
कुछ दिनों बाद, लकड़बग्घा अकेले शिकार करने गया और जख्मी हो गया। भेड़िये ने मदद करने से इंकार कर दिया। लकड़बग्घे को एहसास हुआ कि दोस्ती में विश्वास और बराबरी का महत्व होता है।
सीख: स्वार्थी होना रिश्तों को नष्ट कर देता है।
जंगल में एक भेड़िया और लकड़बग्घा अच्छे दोस्त थे। दोनों मिलकर शिकार करते और भोजन बाँटते। लेकिन लकड़बग्घा हमेशा ज्यादा खाना खाने की कोशिश करता।
एक दिन, उन्हें एक घायल हिरण मिला। भेड़िये ने कहा, "चलो इसे आधा-आधा बाँटते हैं।"
लकड़बग्घा चालाकी से सारा खाना खुद खाने की सोचने लगा। उसने भेड़िये को गुमराह करने के लिए कहा, "देखो, वहाँ एक बड़ा शिकार है। तुम उसे पकड़ो, मैं यहाँ इंतज़ार करता हूँ।"
भेड़िया उसकी बात मानकर चला गया। जब वह लौटा, तो देखा लकड़बग्घा सारा भोजन खा चुका है। भेड़िया चुपचाप चला गया, लेकिन उसने लकड़बग्घे से दोस्ती खत्म कर दी।
कुछ दिनों बाद, लकड़बग्घा अकेले शिकार करने गया और जख्मी हो गया। भेड़िये ने मदद करने से इंकार कर दिया। लकड़बग्घे को एहसास हुआ कि दोस्ती में विश्वास और बराबरी का महत्व होता है।
सीख: स्वार्थी होना रिश्तों को नष्ट कर देता है।
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तोता, मोर और बारिश का चमत्कार
एक जंगल में एक तोता और एक मोर रहते थे। तोता हर वक्त मोर के सुंदर पंखों की तारीफ करता था और खुद को हीन महसूस करता था। वह सोचता था, "काश, मैं भी इतना सुंदर होता।"
एक दिन, बारिश का मौसम आया। तोते ने मोर से कहा, "तुम्हारे पंख इतने सुंदर हैं। बारिश में तुम्हें देखना कितना अद्भुत होगा।"
मोर ने उत्तर दिया, "लेकिन मेरे पंख बारिश में भीगने पर भारी हो जाते हैं। मैं उड़ नहीं पाता। तुम्हारे छोटे पंख तुम्हें इस मौसम में सबसे खास बनाते हैं।"
तोते ने पहली बार अपनी काबिलियत को पहचाना। वह बारिश में उड़ता और जंगल के जीवों को संदेश देता। मोर ने कहा, "हर किसी की अपनी विशेषता होती है। हमें खुद को स्वीकार करना चाहिए।"
सीख: दूसरों से तुलना करने की बजाय अपनी खूबियों को पहचानें।
एक जंगल में एक तोता और एक मोर रहते थे। तोता हर वक्त मोर के सुंदर पंखों की तारीफ करता था और खुद को हीन महसूस करता था। वह सोचता था, "काश, मैं भी इतना सुंदर होता।"
एक दिन, बारिश का मौसम आया। तोते ने मोर से कहा, "तुम्हारे पंख इतने सुंदर हैं। बारिश में तुम्हें देखना कितना अद्भुत होगा।"
मोर ने उत्तर दिया, "लेकिन मेरे पंख बारिश में भीगने पर भारी हो जाते हैं। मैं उड़ नहीं पाता। तुम्हारे छोटे पंख तुम्हें इस मौसम में सबसे खास बनाते हैं।"
तोते ने पहली बार अपनी काबिलियत को पहचाना। वह बारिश में उड़ता और जंगल के जीवों को संदेश देता। मोर ने कहा, "हर किसी की अपनी विशेषता होती है। हमें खुद को स्वीकार करना चाहिए।"
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हाथी और गौरैया का न्याय
एक विशाल जंगल में एक हाथी रहता था, जो अपनी ताकत के कारण घमंडी हो गया था। वह छोटे जीवों को तुच्छ समझता और उनके घोंसले या घरों को अपनी मस्ती में नष्ट कर देता।
एक दिन, हाथी ने एक गौरैया का घोंसला गिरा दिया। गौरैया ने कहा, "तुमने मेरे बच्चों को मार दिया। मैं तुम्हें सजा दिलवाऊँगी।"
हाथी हँसकर बोला, "तुम जैसी छोटी चिड़िया मुझे क्या नुकसान पहुँचा सकती है?"
गौरैया ने सारे छोटे जीवों को इकट्ठा किया। चींटियों ने हाथी के पैरों में काटा, मधुमक्खियों ने उसे डंक मारा, और पक्षियों ने उसकी आँखों पर हमला किया।
हाथी दर्द से कराहने लगा और उसने माफी मांगी। उसने गौरैया से कहा, "मैंने अपनी ताकत पर घमंड किया। अब मैं कभी किसी छोटे जीव को नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा।"
सीख: किसी की शक्ति का मजाक न उड़ाएँ, क्योंकि छोटे जीव भी बड़ा सबक सिखा सकते हैं।
एक विशाल जंगल में एक हाथी रहता था, जो अपनी ताकत के कारण घमंडी हो गया था। वह छोटे जीवों को तुच्छ समझता और उनके घोंसले या घरों को अपनी मस्ती में नष्ट कर देता।
एक दिन, हाथी ने एक गौरैया का घोंसला गिरा दिया। गौरैया ने कहा, "तुमने मेरे बच्चों को मार दिया। मैं तुम्हें सजा दिलवाऊँगी।"
हाथी हँसकर बोला, "तुम जैसी छोटी चिड़िया मुझे क्या नुकसान पहुँचा सकती है?"
गौरैया ने सारे छोटे जीवों को इकट्ठा किया। चींटियों ने हाथी के पैरों में काटा, मधुमक्खियों ने उसे डंक मारा, और पक्षियों ने उसकी आँखों पर हमला किया।
हाथी दर्द से कराहने लगा और उसने माफी मांगी। उसने गौरैया से कहा, "मैंने अपनी ताकत पर घमंड किया। अब मैं कभी किसी छोटे जीव को नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा।"
सीख: किसी की शक्ति का मजाक न उड़ाएँ, क्योंकि छोटे जीव भी बड़ा सबक सिखा सकते हैं।
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Re: पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
बुद्धिमान खरगोश और झरने का रहस्य
एक बार, जंगल के सभी जानवर पानी की कमी से परेशान थे। झीलें सूख रही थीं और नदी का पानी कम हो रहा था। सभी जानवर एकत्र होकर इस समस्या पर चर्चा कर रहे थे। तभी एक युवा खरगोश ने कहा, "नदी के पास एक झरना है। शायद उसका पानी इस समस्या का हल हो सकता है।"
सभी जानवर उस झरने के पास पहुँचे, लेकिन वहाँ एक भालू पहरा दे रहा था। भालू ने कहा, "यह झरना मेरी संपत्ति है। इसे कोई और इस्तेमाल नहीं कर सकता।"
जानवर निराश होकर लौट आए। तब खरगोश ने एक योजना बनाई। उसने झरने के पास जाकर भालू से कहा, "तुम्हारा झरना बहुत खास है। क्या तुम जानते हो कि उसके पानी में एक जादुई गुण है?"
भालू ने चौंककर पूछा, "कैसा जादुई गुण?"
खरगोश ने चालाकी से कहा, "अगर तुम इस पानी का इस्तेमाल दूसरों की मदद के लिए करोगे, तो यह कभी नहीं सूखेगा।"
भालू को खरगोश की बात पर विश्वास हो गया। उसने झरने का पानी सबके लिए खोल दिया। धीरे-धीरे, पानी की समस्या खत्म हो गई, और भालू भी सबका मित्र बन गया।
सीख: परोपकार से दूसरों की मदद करने पर आपका सम्मान बढ़ता है।
एक बार, जंगल के सभी जानवर पानी की कमी से परेशान थे। झीलें सूख रही थीं और नदी का पानी कम हो रहा था। सभी जानवर एकत्र होकर इस समस्या पर चर्चा कर रहे थे। तभी एक युवा खरगोश ने कहा, "नदी के पास एक झरना है। शायद उसका पानी इस समस्या का हल हो सकता है।"
सभी जानवर उस झरने के पास पहुँचे, लेकिन वहाँ एक भालू पहरा दे रहा था। भालू ने कहा, "यह झरना मेरी संपत्ति है। इसे कोई और इस्तेमाल नहीं कर सकता।"
जानवर निराश होकर लौट आए। तब खरगोश ने एक योजना बनाई। उसने झरने के पास जाकर भालू से कहा, "तुम्हारा झरना बहुत खास है। क्या तुम जानते हो कि उसके पानी में एक जादुई गुण है?"
भालू ने चौंककर पूछा, "कैसा जादुई गुण?"
खरगोश ने चालाकी से कहा, "अगर तुम इस पानी का इस्तेमाल दूसरों की मदद के लिए करोगे, तो यह कभी नहीं सूखेगा।"
भालू को खरगोश की बात पर विश्वास हो गया। उसने झरने का पानी सबके लिए खोल दिया। धीरे-धीरे, पानी की समस्या खत्म हो गई, और भालू भी सबका मित्र बन गया।
सीख: परोपकार से दूसरों की मदद करने पर आपका सम्मान बढ़ता है।
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Re: पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
बंदर और उसकी खोई हुई पूँछ
एक बार की बात है, जंगल में एक बंदर बहुत उछल-कूद करता था। उसे अपनी लंबी पूँछ पर बड़ा गर्व था। वह हमेशा कहता, "मेरी पूँछ मुझे बाकी बंदरों से खास बनाती है।"
एक दिन, एक पेड़ से छलांग लगाते समय उसकी पूँछ एक शाखा में फँस गई और टूट गई। अब वह बिना पूँछ का बंदर था। उसे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई।
जंगल के दूसरे बंदर उसका मज़ाक उड़ाने लगे। तब वह उदास होकर नदी किनारे बैठ गया। वहाँ उसने एक छोटे कछुए को देखा, जो धीरे-धीरे पानी में तैर रहा था।
बंदर ने कछुए से कहा, "मैं अपनी पूँछ के बिना बेकार हो गया हूँ।"
कछुए ने उत्तर दिया, "तुम्हारी पूँछ ने तुम्हें खास नहीं बनाया। तुम्हारे काम और तुम्हारा व्यवहार तुम्हें खास बनाते हैं।"
बंदर ने कछुए की बात समझी। उसने दूसरों की मदद करना शुरू कर दिया और जल्द ही सभी बंदरों का प्रिय बन गया।
सीख: दिखावे से अधिक महत्वपूर्ण है आपका स्वभाव और कर्म।
एक बार की बात है, जंगल में एक बंदर बहुत उछल-कूद करता था। उसे अपनी लंबी पूँछ पर बड़ा गर्व था। वह हमेशा कहता, "मेरी पूँछ मुझे बाकी बंदरों से खास बनाती है।"
एक दिन, एक पेड़ से छलांग लगाते समय उसकी पूँछ एक शाखा में फँस गई और टूट गई। अब वह बिना पूँछ का बंदर था। उसे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई।
जंगल के दूसरे बंदर उसका मज़ाक उड़ाने लगे। तब वह उदास होकर नदी किनारे बैठ गया। वहाँ उसने एक छोटे कछुए को देखा, जो धीरे-धीरे पानी में तैर रहा था।
बंदर ने कछुए से कहा, "मैं अपनी पूँछ के बिना बेकार हो गया हूँ।"
कछुए ने उत्तर दिया, "तुम्हारी पूँछ ने तुम्हें खास नहीं बनाया। तुम्हारे काम और तुम्हारा व्यवहार तुम्हें खास बनाते हैं।"
बंदर ने कछुए की बात समझी। उसने दूसरों की मदद करना शुरू कर दिया और जल्द ही सभी बंदरों का प्रिय बन गया।
सीख: दिखावे से अधिक महत्वपूर्ण है आपका स्वभाव और कर्म।
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Re: पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
मछली और कांच का जाल
एक नदी में एक मछली झुंड की नेता थी। वह बड़ी और तेज़ थी, और बाकी मछलियाँ उसका सम्मान करती थीं। एक दिन, नदी में मछुआरों ने एक कांच का जाल डाल दिया, जो पानी में लगभग अदृश्य था।
मछलियों ने नेता मछली से पूछा, "क्या यह जाल खतरनाक है?"
नेता मछली ने कहा, "यह तो सिर्फ पानी की लहर लगती है। इसमें डरने की कोई बात नहीं।"
कुछ मछलियाँ जाल में फँस गईं। अब नेता मछली को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने जल्दी से दूसरी मछलियों को सचेत किया और खुद जाल काटने का प्रयास करने लगी।
उसने अपनी ताकत और समझदारी से जाल को काटा और सभी मछलियों को बचा लिया। इसके बाद उसने माना, "नेता होने का मतलब है कि हमें हर कदम सोच-समझकर उठाना चाहिए।"
सीख: जिम्मेदार व्यक्ति को हर स्थिति को ध्यान से समझकर निर्णय लेना चाहिए।
एक नदी में एक मछली झुंड की नेता थी। वह बड़ी और तेज़ थी, और बाकी मछलियाँ उसका सम्मान करती थीं। एक दिन, नदी में मछुआरों ने एक कांच का जाल डाल दिया, जो पानी में लगभग अदृश्य था।
मछलियों ने नेता मछली से पूछा, "क्या यह जाल खतरनाक है?"
नेता मछली ने कहा, "यह तो सिर्फ पानी की लहर लगती है। इसमें डरने की कोई बात नहीं।"
कुछ मछलियाँ जाल में फँस गईं। अब नेता मछली को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने जल्दी से दूसरी मछलियों को सचेत किया और खुद जाल काटने का प्रयास करने लगी।
उसने अपनी ताकत और समझदारी से जाल को काटा और सभी मछलियों को बचा लिया। इसके बाद उसने माना, "नेता होने का मतलब है कि हमें हर कदम सोच-समझकर उठाना चाहिए।"
सीख: जिम्मेदार व्यक्ति को हर स्थिति को ध्यान से समझकर निर्णय लेना चाहिए।
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Re: पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
लोमड़ी और सोने का कटोरा
एक लोमड़ी ने जंगल के किनारे एक चमचमाता हुआ सोने का कटोरा देखा। वह उसे उठाकर इधर-उधर भागने लगी और सोचने लगी, "अब मैं जंगल की सबसे अमीर प्राणी हूँ। सभी मुझसे ईर्ष्या करेंगे।"
कटोरा इतना भारी था कि लोमड़ी ठीक से चल नहीं पा रही थी। भूख से परेशान होकर वह किसी जानवर से मदद मांगने के लिए नहीं जा पा रही थी, क्योंकि कटोरा उसे ले जाने में व्यस्त रखता था।
तभी एक कछुआ पास से गुजरा। उसने लोमड़ी से कहा, "तुम इतनी परेशान क्यों हो?"
लोमड़ी ने कहा, "मुझे यह सोने का कटोरा ले जाना है, लेकिन यह मुझे चलने नहीं दे रहा।"
कछुए ने हँसते हुए कहा, "जो चीज़ तुम्हारे जीवन को कठिन बना दे, वह किसी काम की नहीं।"
लोमड़ी ने कटोरे को छोड़ दिया और राहत महसूस की।
सीख: जो चीज़ जीवन को कठिन बना दे, उसे छोड़ना ही बेहतर है।
एक लोमड़ी ने जंगल के किनारे एक चमचमाता हुआ सोने का कटोरा देखा। वह उसे उठाकर इधर-उधर भागने लगी और सोचने लगी, "अब मैं जंगल की सबसे अमीर प्राणी हूँ। सभी मुझसे ईर्ष्या करेंगे।"
कटोरा इतना भारी था कि लोमड़ी ठीक से चल नहीं पा रही थी। भूख से परेशान होकर वह किसी जानवर से मदद मांगने के लिए नहीं जा पा रही थी, क्योंकि कटोरा उसे ले जाने में व्यस्त रखता था।
तभी एक कछुआ पास से गुजरा। उसने लोमड़ी से कहा, "तुम इतनी परेशान क्यों हो?"
लोमड़ी ने कहा, "मुझे यह सोने का कटोरा ले जाना है, लेकिन यह मुझे चलने नहीं दे रहा।"
कछुए ने हँसते हुए कहा, "जो चीज़ तुम्हारे जीवन को कठिन बना दे, वह किसी काम की नहीं।"
लोमड़ी ने कटोरे को छोड़ दिया और राहत महसूस की।
सीख: जो चीज़ जीवन को कठिन बना दे, उसे छोड़ना ही बेहतर है।
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हाथी और बुद्धिमान चिड़िया
जंगल में एक शक्तिशाली हाथी था, जो अपने ताकत के कारण छोटे जानवरों को परेशान करता रहता था। एक दिन, उसने एक छोटे पक्षी का घोंसला गिरा दिया। पक्षी ने रोते हुए कहा, "तुम इतने बड़े हो, तुम्हें दूसरों को परेशान नहीं करना चाहिए।"
हाथी ने मजाक में कहा, "तुम जैसे छोटे जीव मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकते। तुम चाहो तो मेरा कुछ बिगाड़कर दिखाओ।"
पक्षी ने हाथी को सबक सिखाने का निश्चय किया। उसने सारे पक्षियों को इकट्ठा किया। कुछ पक्षियों ने हाथी की आँखों पर वार किया, और कुछ ने उसकी पीठ पर हमला किया।
हाथी परेशान होकर भागने लगा, लेकिन पक्षियों ने उसका पीछा किया। आखिरकार, हाथी ने हार मानकर पक्षी से माफी मांगी और वादा किया कि वह कभी छोटे जानवरों को तंग नहीं करेगा।
सीख: एकता में शक्ति होती है, और घमंड हमेशा हारता है।
जंगल में एक शक्तिशाली हाथी था, जो अपने ताकत के कारण छोटे जानवरों को परेशान करता रहता था। एक दिन, उसने एक छोटे पक्षी का घोंसला गिरा दिया। पक्षी ने रोते हुए कहा, "तुम इतने बड़े हो, तुम्हें दूसरों को परेशान नहीं करना चाहिए।"
हाथी ने मजाक में कहा, "तुम जैसे छोटे जीव मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकते। तुम चाहो तो मेरा कुछ बिगाड़कर दिखाओ।"
पक्षी ने हाथी को सबक सिखाने का निश्चय किया। उसने सारे पक्षियों को इकट्ठा किया। कुछ पक्षियों ने हाथी की आँखों पर वार किया, और कुछ ने उसकी पीठ पर हमला किया।
हाथी परेशान होकर भागने लगा, लेकिन पक्षियों ने उसका पीछा किया। आखिरकार, हाथी ने हार मानकर पक्षी से माफी मांगी और वादा किया कि वह कभी छोटे जानवरों को तंग नहीं करेगा।
सीख: एकता में शक्ति होती है, और घमंड हमेशा हारता है।
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Re: पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
भेड़ और खरगोश की बुद्धिमानी
एक बार एक चरागाह में कई भेड़ें चर रही थीं। पास में एक छोटा खरगोश भी घास खा रहा था। तभी एक भूखा भेड़िया वहाँ आ गया। उसने सोचा, "यह सभी भेड़ें तो बहुत बड़ी हैं, लेकिन यह छोटा खरगोश मेरे लिए आसान शिकार होगा।"
भेड़िया खरगोश की तरफ बढ़ा। लेकिन खरगोश डरने की बजाय जोर से चिल्लाया, "भागो! भागो! यह भेड़िया बहुत खतरनाक है। उसने मेरी तरफ देखा भी नहीं, वह सबसे ताकतवर भेड़ को खाने आ रहा है।"
भेड़िया झुंझलाकर सोचने लगा, "कहीं यह भेड़ सच में मुझसे ताकतवर तो नहीं? मुझे सावधान रहना चाहिए।" यह सोचकर वह वहाँ से भाग गया।
सीख: समझदारी से बड़ी समस्या को हल किया जा सकता है।
एक बार एक चरागाह में कई भेड़ें चर रही थीं। पास में एक छोटा खरगोश भी घास खा रहा था। तभी एक भूखा भेड़िया वहाँ आ गया। उसने सोचा, "यह सभी भेड़ें तो बहुत बड़ी हैं, लेकिन यह छोटा खरगोश मेरे लिए आसान शिकार होगा।"
भेड़िया खरगोश की तरफ बढ़ा। लेकिन खरगोश डरने की बजाय जोर से चिल्लाया, "भागो! भागो! यह भेड़िया बहुत खतरनाक है। उसने मेरी तरफ देखा भी नहीं, वह सबसे ताकतवर भेड़ को खाने आ रहा है।"
भेड़िया झुंझलाकर सोचने लगा, "कहीं यह भेड़ सच में मुझसे ताकतवर तो नहीं? मुझे सावधान रहना चाहिए।" यह सोचकर वह वहाँ से भाग गया।
सीख: समझदारी से बड़ी समस्या को हल किया जा सकता है।
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Re: पंचतंत्र और अन्य पुरानी भारतीय कहानियाँ
मछलियों की एकता
एक नदी में छोटी मछलियों का एक झुंड रहता था। वे हर समय मस्ती में रहती थीं। लेकिन पास ही कुछ मछुआरे रहते थे, जो मछलियाँ पकड़ने की योजना बना रहे थे।
एक बूढ़ी मछली ने झुंड से कहा, "हमें एक साथ रहकर मछुआरों का सामना करना चाहिए।"
लेकिन कुछ मछलियाँ उसकी बात को अनसुना कर देतीं। एक दिन मछुआरों ने जाल फेंका और कई मछलियों को पकड़ लिया। बची हुई मछलियाँ बूढ़ी मछली के पास गईं और कहा, "हमें आपकी बात माननी चाहिए थी। अब हम हमेशा एक साथ रहेंगे।"
सीख: एकता में ही सुरक्षा है।
एक नदी में छोटी मछलियों का एक झुंड रहता था। वे हर समय मस्ती में रहती थीं। लेकिन पास ही कुछ मछुआरे रहते थे, जो मछलियाँ पकड़ने की योजना बना रहे थे।
एक बूढ़ी मछली ने झुंड से कहा, "हमें एक साथ रहकर मछुआरों का सामना करना चाहिए।"
लेकिन कुछ मछलियाँ उसकी बात को अनसुना कर देतीं। एक दिन मछुआरों ने जाल फेंका और कई मछलियों को पकड़ लिया। बची हुई मछलियाँ बूढ़ी मछली के पास गईं और कहा, "हमें आपकी बात माननी चाहिए थी। अब हम हमेशा एक साथ रहेंगे।"
सीख: एकता में ही सुरक्षा है।