Source: https://www.naidunia.com/madhya-pradesh ... nt-8374834यूनियन कार्बाइड कारखाने से पीथमपुर रामकी कंपनी भेजे गए 337 टन जहरीले कचरे में रेडियोधर्मी रसायन तो 40 साल में स्वत: खत्म हो गए हैं लेकिन सेविन, नेफ्थाल जैसे रसायन अब भी मौजूद हैं।
ऐसे में कचरे को वैज्ञानिक पद्धति से जलाना जरूरी है। पूर्व में हुए ट्रायल निष्पादन की रिपोर्ट के आधार पर ही सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय ने जलाकर नष्ट करने के आदेश दिए हैं।मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में रामकी एकमात्र ऐसी कंपनी है जहां औद्योगिक ईकाईयों से निकलने वाले रसायनिक, खतरनाक अपशिष्ट का प्रतिदिन निष्पादन किया जाता है।
यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने का निर्णय सही
इसमें यूका का कचरा जलाने का निर्णय सही है। यह दावा पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे ने नवदुनिया से बातचीत में किया है। वह पर्यावरण के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से काम कर रहे हैं और उनको आइसर द्वारा 2011 के लिए सर्वश्रेष्ठ पर्यावरणविद घोषित किया जा चुका है। उन्होंने जल, मिट्टी, वायु आदि पर शोध भी किए हैं।
सेविन और नेफ्थाल रसायन पूरी तरह से नष्ट नहीं हुए
उन्होंने बताया कि यूनियन कार्बाइड कारखाना से निकाला गया 337 टन जहरीले कचरे में मौजूद रेडियोधर्मी, विकिरण और अधिक सक्रिय रसायनिक पदार्थ स्वत: वाष्प बनकर नष्ट हो गए। वहीं सेविन, नेफ्थाल आदि रसायन जो कभी धूप, गर्मी के संपर्क में नहीं आए उनकी क्षमता कम हो सकती है लेकिन पूरी तरह से नष्ट नहीं हुए हैं।
इसलिए रामकी कंपनी में वैज्ञानिक पद्धति से जलाना ही सही है। कंपनी में इंसीनरेटर लगे हैं वह उन्नत किस्म के हैं और इसी तरह के कचरे का निष्पादन करने के लिए लगाए गए हैं। यहां जहरीले कचरे का दहन खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के कड़े मापदंडों के अनुरूप ही किया जाएगा।
कंपनी में औद्योगिक ईकाईयों से निकलने वाले खतरनाक अपशिष्ट को जलाया जा रहा है जो कि यूनियन कार्बाइड के मौजूदा कचरे से भी खतरनाक है। ऐसे में रामकी में कचरे के निष्पादन से पीथमपुर, इंदौर, धार आदि क्षेत्र की जलवायु, भूमिगत जल, नदी, जलाशय आदि को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं है।
पीथमपुर भेजे गए 337 टन जहरीले कचरे में सबसे अधिक 165 टन संक्रमित मिट्टी शामिल हैं। जबकि 95 टन सेविन नेफ्थाल है, मिथाइल आइसोसाइनेट गैस सेविन नेफ्थाल से बनाई जाती थी। इनके अलावा 29 टन रिएक्टर का अवशेष और सेमी प्रोसेस्ड कीटनाशक 56.4 टन है।
कचरे को लेकर सरकार का दावा
जहरीले कचरे को लेकर सरकार का दावा है कि कुल 347 टन जहरीले कचरे में से 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 10 टन कचरे का ट्रायल रन पीथमपुर में रामकी के प्लांट में कराने के निर्देश दिए थे। 2015 में ट्रायल रन हुआ। सरकार का दावा है कि ट्रायल रन सफल रहा और इससे किसी भी तरह का नुकसान पर्यावरण और भूजल को नहीं हुआ।
2015 के ट्रायल रन के सफल होने के बाद ये तय हुआ कि कचरे को पीथमपुर में ही जलाया जाएगा।क्या है खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016भारत में खतरनाक अपशिष्टों के प्रबंधन से जुड़े नियमों का एक समूह है।
इन नियमों का उद्देश्य खतरनाक अपशिष्टों को रोकना, उनका पुनर्चक्रण करना, और उनका सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करना है. इन नियमों में, खतरनाक अपशिष्टों के उत्पादन, प्रसंस्करण, उपचार, पैकेजिंग, भंडारण, परिवहन, संग्रह, रूपांतरण, विनाश, और निपटान के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
Union Carbide Waste: 40 साल में रेडियोधर्मी केमिकल हुए खत्म, लेकिन सेविन, नेफ्थाल अब भी मौजूद
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Union Carbide Waste: 40 साल में रेडियोधर्मी केमिकल हुए खत्म, लेकिन सेविन, नेफ्थाल अब भी मौजूद
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Re: Union Carbide Waste: 40 साल में रेडियोधर्मी केमिकल हुए खत्म, लेकिन सेविन, नेफ्थाल अब भी मौजूद
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जो अधिकारियों का हवाला देती हैं, Pithampur में स्थित कचरा निपटान संयंत्र मध्य प्रदेश का एकमात्र अत्याधुनिक इन्शीनेरेशन (incineration) सुविधा है. खतरनाक कचरे को एक विशेष लकड़ी के मंच पर जलाया जाएगा, जो ज़मीन से 25 फीट ऊँचा होगा, और पर्यावरणीय प्रदूषण को सुनिश्चित करने के लिए कड़े वैज्ञानिक प्रोटोकॉल लागू किए जाएंगे. इन्शीनेरेशन के लिए सर्वोत्तम समय निर्धारित करने के लिए परीक्षण किए जाएंगे, जिसमें मौसम और वातावरणीय तापमान जैसे कारकों को ध्यान में रखा जाएगा.
90 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से, पूरे 337 टन कचरे को नष्ट करने में लगभग 153 दिन लगेंगे. यदि इन्शीनेरेशन की गति 270 किलोग्राम प्रति घंटे तक बढ़ा दी जाती है, तो यह प्रक्रिया लगभग 51 दिनों में पूरी हो जाएगी, रिपोर्ट्स में कहा गया है.
90 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से, पूरे 337 टन कचरे को नष्ट करने में लगभग 153 दिन लगेंगे. यदि इन्शीनेरेशन की गति 270 किलोग्राम प्रति घंटे तक बढ़ा दी जाती है, तो यह प्रक्रिया लगभग 51 दिनों में पूरी हो जाएगी, रिपोर्ट्स में कहा गया है.