Air India Plane Crash: प्लेन क्रैश का सच ब्लैक बॉक्स में, क्या होता है ये और कैसे करता है रिकॉर्ड, जानें सबकुछ

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Stayalive
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Air India Plane Crash: प्लेन क्रैश का सच ब्लैक बॉक्स में, क्या होता है ये और कैसे करता है रिकॉर्ड, जानें सबकुछ

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कल अहमदाबाद से लंदन जाने वाली फ्लाइट उड़ाने भरते ही क्रैश हो गई और एक इमारत से जा टकराई। इस दुर्घटना में अभी तक 265 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। एयर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर (वीटी-एएनबी) दुर्घटना की जांच शुरू होने के साथ ही हवाई जहाज के ब्लैक बॉक्स (Black Box) से इस दुर्घटना के कारण की जांच चल रही है। अब सवाल यह है कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है और यह विमान क्रैश के बाद उसके कारण और वजहों की जांच करने में मदद करता है।

हवाई जहाज में ब्लैक बॉक्स फ्लाइट रिकॉर्डिंग डिवाइस होता है, जिससे किसी भी दुर्घटना के बाद यह समझने में मदद मिलती है कि फ्लाइट के दौरान क्या हुआ था। आपको बता दें कि इसका नाम ब्लैक बॉक्स जरूर है, लेकिन यह काला या नीला नहीं बल्कि चमकीले नारंगी कलर का होता है, जिससे इसे दुर्घटना के बाद खोजना आसान होता है। यह काफी मजबूत सामग्री से तैयार किया जाता है, जिससे यह किसी भी दर्घटना में सुरक्षित रह सकता है।

क्यों लगाया जाता है ब्लैक बॉक्स

ब्लैक बॉक्स का उपयोग मुख्य रूप से दुर्घटना की जांच के लिए किया जाता है। दुर्घटना के बाद एक्सपर्ट को यह पता लगाने में मदद मिलती है कि मैकेनिकल डाटा और पायलट एक्शन दोनों का विश्लेषण करके क्या गलत हुआ था। दुर्घटना के बाद ब्लैक बॉक्स से डेटा का विश्लेषण करके भविष्य में हवाई जहाज और उससे संबंधित अपडेट करने के लिए किया जाता है, ताकि दुर्घटनाओं को कम किया जा सके।

ब्लैक बॉक्स में होते हैं दो पार्ट

पहला फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR) होता है, जिसमें एयरक्राफ्ट सिस्टम से टेक्निकल डाटा रिकॉर्ड करता है। यह ऊंचाई,स्पीड, इंजन परफॉर्मेंस, दिशा और फ्लाइट कंट्रोल इनपुट जैसी चीजों को ट्रैक करता है।
दूसरा कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) होता है, यह कॉकपिट से ऑडियो रिकॉर्ड करता है। इसमें पायलट और को पायलट के बीच की बातचीत, रेडियो कम्युनिकेशन और एंबिएंट कॉकपिट का साउंड जैसे कि जैसे अलार्म या स्विच आदि भी रिकॉर्ड होता है।

ब्लैक बॉक्स की खासियतें

ब्लैक बॉक्स को आमतौर पर हवाई जहाज के पिछले हिस्से में इंस्टॉल किया जाता है, जिससे दुर्घटना में इसके बचने की ज्यादा संभावना रहती है। ड्यूराबिलिटी के मामले में यह एक्स्ट्रीम इंपेक्ट और अधिक तापमान को बर्दाश्त कर सकता है। यह वाटरप्रूफ होने के साथ-साथ प्रोटेक्टिव मैटेरियल में कवर होता है। रिकॉर्डिंग समय की बात करें तो सीवीआर आमतौर पर 2 घंटे का ऑडियो स्टोर कर सकता है। वहीं एफडीआर 25 घंटे या उससे ज्यादा फ्लाइट डाटा स्टोर कर सकता है।
Source: https://hindi.gadgets360.com/internet/a ... ws-8657020

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